नई दिल्ली (New Dehli)। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार (Congress government in Himachal Pradesh)मुश्किल में आ गई है। राज्यसभा चुनाव(Rajya Sabha elections) में क्रॉस वोटिंग (Cross voting in Rajya Sabha elections)की वजह से पार्टी उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी की हार मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार (Chief Minister Sukhwinder Singh Sukhu Government)के लिए खतरे की घंटी है। क्योंकि, क्रॉस वोटिंग करने वाले पार्टी के छह विधायक अब असंतुष्ट गुट में शामिल हो गए हैं। ऐसे में आने वाले वक्त में सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती है। भाजपा के सिंबल पर राज्यसभा चुनाव जीतने वाले हर्ष महाजन ने दावा किया कि कुल 26 विधायक सुक्खू से नाखुश थे और उन्हें सीएम बनाना चाहते थे। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने आज गवर्नर से मुलाकात की।
हिमाचल प्रदेश में विधानसभा का सत्र चल रहा है। बुधवार को बजट पेश किया जाएगा। पार्टी रणनीतिकार मानते हैं कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को बजट पास कराने में मुश्किल नहीं होगी। क्योंकि, सरकार के पास विधानसभा में बहुमत है। पर पार्टी के लिए यह बड़ा झटका है और पार्टी को हिमाचल प्रदेश में अपनी सरकार को बरकरार रखना आसान नहीं होगा।
रणनीतिकार मानते हैं कि यह पार्टी से ज्यादा मुख्यमंत्री सुक्खू के लिए एक बड़ा झटका है। क्योंकि, वह विधायकों को एकजुट रखने में विफल रहे हैं। पार्टी के एक नेता ने कहा कि 25 विधायकों के बावजूद राज्यसभा के लिए उम्मीदवार उतार कर भाजपा ने अपना इरादा साफ कर दिया था, इसके बावजूद मुख्यमंत्री स्थिति को समझने में नाकाम रहे। इससे उनकी छवि पर भी असर पड़ा है।
भाजपा आज सुक्खू सरकार के खिलाफ ला सकती है अविश्वास प्रस्ताव
भाजपा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने कहा कि बुधवार को राज्यपाल से मिलकर सुक्खू सरकार को बहुमत साबित करने की मांग की जाएगी। वहीं 29 फरवरी को वित्त वर्ष 2024-25 का बजट भी पास होना है और सदन के अंदर सुक्खू सरकार को 35 विधायकों की जरूरत होगी, लेकिन वर्तमान में छह विधायकों के बागी होने से कांग्रेस के पास केवल 34 विधायक ही हैं। वहीं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने दावा किया है कि एक मंत्री और कांग्रेस के कुछ और विधायक भाजपा के संपर्क में हैं। अगर राज्यपाल ने फ्लोर टेस्ट की अनुमति दे दी तो सुक्खू सरकार के लिए मुश्किलें पैदा हो जाएगी।
विधानसभा चुनाव के दौरान किए गए वादों को लेकर भी कांग्रेस पार्टी का एक बड़ा तबका मुख्यमंत्री से नाराज है। राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों ने कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर चुनावी वादे याद दिलाए थे। इसके साथ उन्होंने साफ संकेत दिए थे कि पार्टी ने उनकी नाराजगी को दूर नहीं किया, तो वह भाजपा के साथ जाने से भी परहेज नहीं करेंगे।
पार्टी से ज्यादा मुख्यमंत्री से नाराज
कई दूसरे विधायक भी पार्टी से ज्यादा मुख्यमंत्री से नाराज है। ऐसे में पार्टी को प्रदेश में अपनी सरकार बरकरार रखनी है, तो सभी विधायकों को साथ लेकर चलना होगा। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि लोकसभा चुनाव नजदीक है, ऐसे में पार्टी का शीर्ष नेतृत्व मुख्यमंत्री को दिल्ली तलब कर सख्त हिदायत दे सकता है। क्योंकि, राज्यसभा के बाद पार्टी लोकसभा चुनाव नहीं हारना चाहती।
प्रदेश में सरकार के बाद कांग्रेस को उम्मीद थी कि पार्टी लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करेगी। पर चुनाव से ठीक पहले लगे इस झटके से पार्टी में अंदरुनी कलह बढ़ेगी। वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा 69.11 वोट प्रतिशत के साथ सभी चार सीट जीतने में सफल रही थी। जबकि कांग्रेस को तमाम कोशिशों के बावजूद चुनाव में सिर्फ 27.30 फीसदी वोट मिले थे।
विधानसभा चुनाव में मुकाबला बेहद करीब रहा था
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबला बेहद करीब रहा था। दोनों पार्टियों के बीच वोट प्रतिशत में एक फीसदी से भी कम अंतर था। कांग्रेस को 43.90 वोट के साथ 40 सीट मिली थी, जबकि भाजपा को 43 वोट प्रतिशत के साथ 25 सीट मिलीं। पार्टी के एक नेता ने कहा कि कांग्रेस को अपनी सरकार को बरकरार रखना है, तो सभी विधायकों को साथ लेकर चलना होगा।
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