भोपाल। मप्र में सरकार का प्रयास है कि प्रदेश का हर क्षेत्र सिंचित हो। इसके लिए कई परियोजनाओं पर काम किया जा रहा है। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण द्वारा तैयार सिंचाई परियोजनाओं को आकार देने के लिए हजारों पेड़ों को बलि देने की तैयारी की जा रही है। हालांकि योजना में प्रावधान किया गया है कि जितने पेड़ काटे जाएंगे उससे अधिक पेड़ लगाए भी जाएंगे। प्रदेश नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में सिंचाई साधन बढ़ाने के लिए 26 हजार करोड़ से अधिक लागत की दर्जनभर सिंचाई परियोजनाओं का प्लान बनाया है। इन परियोजनाओं को दो साल के अंदर मंजूर कर ली गई हैं लेकिन टेंडर जारी करने की कार्रवाई इस साल से हुई। इनमें करीब दस परियोजनाओं में 5 हजार 6 सौ हेक्टेयर से अधिक संरक्षित वन भूमि के जंगल काटे जाएंगे। वन विभाग ने बदले में इतनी ही जमीन की मांग की है।
सूखे खेतों को भी सींचेगा
मप्र की जीवन रेखा कहलाने वाली नर्मदा नदी का पानी मालवा और निमाड़ के उन गांवों के सूखे खेतों को भी सींचेगा, जो अब तक नर्मदा से अछूते थे। इसके लिए ओंकारेश्वर में नर्मदा पर बने बांध से पाइपलाइन के जरिए पानी लाया जाएगा। इससे इंदौर, उज्जैन और खरगोन जिले की 80 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई होगी। एनवीडीए का सिंचाई साधन बढ़ाने पर ज्यादातर फोकस मालवा और निमाड़ क्षेत्र पर हैं। यहां पहले और दूसरे चरण के लिए कई बड़ी परियोजनाओं का रोडमैप बनाया है। हजारों एकड़ जमीन पर सिंचाई का रकबा बढ़ाने के लिए विभाग ने आगे की कार्रवाई प्रारंभ कर दी है।
सांवेर माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना
सांवेर माइक्रो उद्वहन सिंचाई योजना के नाम से बनी इस योजना को मूर्तरूप देने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। वास्तव में नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) ने यह योजना करीब दो साल पहले बनाई थी। तब इसकी लागत 2400 करोड़ रुपये थी, लेकिन लोहा, ईंधन और सीमेंट महंगा होने से इसकी लागत 2400 करोड़ से बढ़कर 2900 करोड़ रुपये हो गई। खास तौर पर यह योजना इंदौर जिले के सांवेर विधानसभा क्षेत्र के लिए बनाई गई है। इसीलिए इसमें सर्वाधिक लाभान्वित होने वाले 178 गांव इसी क्षेत्र के हैं। इंदौर जिले के 182 ग्रामों की 65 हजार, खरगोन जिले के 80 ग्रामों की 13 हजार और उज्जैन जिले के 10 ग्रामों की 2 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी।
दो चरण में पूरी होगी योजना
प्रथम चरण में अपर नर्मदा परियोजना के तहत जिला डिंडोरी, दुधी परियोजना, नर्मदापुरम – छिंदवाड़ा, शक्कर पेंच लिंक परियोजना नरसिंहपुर छिंदवाड़ा, बसानिया बहुउद्देशीय परियोजना मण्डला, हांडिया बराज परियोजना हरदा, नर्मदापुरम बराज परियोजना नर्मदापुरम तो दूसरे चरण में झिरन्या एमआईपी खंडवा- खरगोन और कुक्षी माइक्रो सिंचाई परियोजना धार, हाटपिपल्या माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना देवास, अपर बुढऩेर सिंचाई, परियोजना मंडला, शेर- मछरेवा वृहद सिंचाई परियोजना सिवनी एवं नरसिंहपुर आदि शामिल है। एपीसीसीएफ भू-प्रबंध मप्र सुनील अग्रवाल का कहना है कि सिंचाई परियोजनाओं के नाम पर जहां भी वन भूमि अधिग्रहित की जाएगी। उसके बदले राजस्व या अन्य विभागों की अन्य जमीन ली जाएगी। इन जमीनों पर वन विकसित किया जाएगा। परियोजना के नाम पर जाने वाले वन भूमि को लेकर आगे की कार्रवाई की जा रही है ।
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