भोपाल। राज्य शिक्षक संघ के आह्वान पर राजधानी के आंबेडकर पार्क में आयोजित धरना-प्रदर्शन में शामिल हुए। इसमें महिला शिक्षिका भी शामिल हुई। संघ ने मांग पूरी होने तक के लिए लंबे आंदोलन की घोषणा की। शिक्षकों ने अनवरत चलने वाले आंदोलन के क्रम में नए वर्ष में जनवरी माह में देश की राजधानी दिल्ली में धरने की चेतावनी भी शिक्षकों ने दी। संघ की मांग है कि सरकारी नौकरी का वजूद पुरानी पेंशन और सेवानिवृत्ति के बाद जीवन जीने का एकमात्र सहारा पेंशन है, जिसे सरकार ने 2005 के बाद के कर्मचारियों को देना बंद कर दिया है। उसी की जस की तस बहाली और प्रथम नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता सहित 15 सूत्रीय मांगों को लेकर रविवार को भोपाल के आंबेडकर पार्क में प्रदेश भर के शिक्षकों ने जमकर प्रदर्शन किया। प्रांताध्यक्ष जगदीश यादव ने मांगे पूरी होने तक अनवरत आंदोलन की घोषणा की। घोषित आंदोलन में आगामी 13 अक्टूबर से 30 नवंबर तक प्रदेश के जिलों में पेंशन सत्याग्रह न्याय यात्रा निकाली जाएगी। इसी दौरान 16 अक्टूबर से 27 नवंबर तक प्रत्येक रविवार को जिला एवं ब्लाक स्तर पर राजनात्मक कार्यक्रम आयोजित कर जन समर्थन जुटाया जाएगा। एक दिसंबर से 24 दिसंबर तक भोपाल में प्रदेश के दो-दो जिले आकर लगातार 25 दिनों तक धरनारत रहेंगे। इसके बाद भी सरकार नही मानी तो नए वर्ष में जनवरी के माह में राजधानी दिल्ली में विशाल रैली निकाली जाएगी।
कम पेंशन में घर चलाना मुश्किल
संघ के प्रांताध्यक्ष जगदीश यादव ने वर्तमान में चल रही नई पेंशन नीति को कर्मचारी विरोधी बताते हुए कहा कि जबलपुर जिले के एक शिक्षक द्वारका परौहा को 20 वर्ष 6 माह की नौकरी के बाद मात्र 1119 रुपये पेंशन मिल रही है। इतनी लंबी सेवा के बाद जब 62 वर्ष के हुए तो ऐसी स्थिति बनाने वाली सरकार बताए कि इतने पैसों में जीवन कैसे जिया जाए। प्रांताध्यक्ष ने आह्वान किया कि मुख्यमंत्री और उनके मंत्रीगण 1119 रुपये में महीना गुजार के दिखाएं । संघ ने मांग की कि सरकार नई पेंशन नीति को बंद कर पुरानी पेंशन नीति को बहाल करें।
प्रथम नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता दी जाए
अध्यापक संवर्ग को जुलाई 2018 से राज्य शिक्षा सेवा में नियुक्त किया गया है, लेकिन इस नवीन गठन में वरिष्ठता के निर्धारण में पुरानी सेवाओ की गणना को लेकर अनिश्चितता चार साल से जस की तस है। संघ ने चेतावनी दी कि सेवाओं की गणना में पूर्व की समस्त सेवाओ को शामिल करना होगा। सरकार अपने वादे के मुताबिक प्रथम नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता के आदेश तुरंत जारी करे। जिससे विगत 2-3 वर्षों से लंबित क्रमोन्नति के आदेश जारी हो सकें।
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