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राज्य जीएसटी ट्रिब्यूनल का गठन नहीं होने से टैक्स और जुर्माने के हजारों मामले लंबित

January 31, 2025


द्वितीय अपील की 10 फीसदी राशि जमा करने का दबाव बना रहा जीएसटी विभाग

इंदौर, पंकज भारती। वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू हुए लगभग साढ़े सात साल का समय हो गया हैं। लेकिन यह विडंबना ही है कि इन 7.5 वर्षों में भी जीएसटी ट्रिब्यूनल (Tribunal) का गठन नहीं किया जा सका।



स्टेट जीएसटी ट्रिब्यूनल नहीं होने से जीएसटी विभाग द्वारा पारित असेसमेंट (Assessment) और पेनल्टी (Penalty) के आर्डर पर प्रथम अपील के बाद द्वितीय अपील नहीं की जा पा रही है। इसके चलते मध्यप्रदेश में टैक्स से संबंधित हजारों मामले लंबित हैं। इन लंबित मामलों को चुनौती देने का विकल्प करदाताओं के पास नहीं है क्योंकि द्वितीय अपील के लिए कोई ट्रिब्यूनल का गठन अब तक नहीं किया जा सका है। वही द्वितीय अपील के लिए जितनी राशि का प्रकरण है उसकी 10 प्रति. राशि जमा करने का दबाव जीएसटी विभाग द्वारा करदाताओं पर बनाया जा रहा है। विभाग ने कई करदाताओं को नोटिस भेज कर 10 प्रति. की राशि जमा करने का कहा है ऐसा नहीं करने पर उनके खाते को सीज करने की बात कही गई है। इस संबंध में राज्य जीएसटी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि द्वितीय अपील के लिए जितनी राशि का प्रकरण है उसका 10 फीसदी जमा करना अनिवार्य है। 10 फीसदी राशि जमा करने से प्रकरण तब तक ओपन रहेगा जब तक की स्टेट जीएसटी ट्रिब्यूनल का गठन नहीं हो जाता। इस संबंध में पूर्व में नोटिफिकेशन जारी किया जा चुका है। वहीं वर्तमान में कारोबारियों और व्यापारियों को जीएसटी संबंधित विवाद के निबटारे के लिए हाइकोर्ट के शरण में जाना पड़ रहा है।

कुल 20 फीसदी राशि जमा करनी पड़ती हैं…
टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी के अनुसार जीएसटी की पेनल्टी और असेसमेंट से संबंधित मामलों में यदि प्रथम अपील की जाती है तो जितनी राशि का केस है उसका 10 फीसदी प्रथम अपील के समय ही जमा करना पड़ता है वहीं यदि इस मामले में द्वितीय अपील करना हो तो 10 फीसदी अतिरिक्त राशि का विभाग को और जमा करनी पड़ती है। अब क्योंकि मध्य प्रदेश में द्वितीय अपील के लिए जीएसटी ट्रिब्यूनल का गठन नहीं हुआ है इसके चलते हजारों प्रकरण द्वितीय अपील के लिए लंबित हैं। उनकी सुनवाई तो हो नहीं रही लेकिन 10 फीसदी राशि जमा करने का दबाव जीएसटी विभाग द्वारा बनाया जा रहा है।

यह हो रही है परेशानी
जीएसटी के तहत कारोबारी पर टैक्स व जुर्माना लगाने पर उसे अपील करने का अधिकार है। सर्कल के अधिकारियों के फैसले के विरुद्ध एडिशनल कमिश्नर और कमिश्नर के पास अपील की जाती है। यदि कारोबारी इन अधिकारियों के निर्णय से संतुष्ट नहीं हैं तो वे ट्रिब्यूनल में अपील कर सकते हैं। वर्तमान में राज्य जीएसटी ट्रिब्यूनल का गठन नहीं होने के कारण व्यापारियों को हाइकोर्ट में मामला में दर्ज करना पड़ता है लेकिन यह काफी खर्चीली प्रक्रिया है और इसमें समय भी अधिक लगता है।

इंदौर के साथ धोखा…
प्रदेश में जीएसटी ट्रिब्यूनल भोपाल में स्थापित किया जाएगा यह तय है जबकि इसे इंदौर में स्थापित करने की मांग लंबे समय से की जाती रही है। इस ट्रिब्यूनल को इंदौर में स्थापित करवाने के लिए कर सलाहकारों, सीए, अनेक व्यापारी संगठनों, उद्योगपतियों ने तमाम प्रयास किया लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। वहीं इंदौर सांसद ने भी केंद्रीय वित्त मंत्री से मिलकर ट्रिब्यूनल को इंदौर में स्थापित करने की मांग की थी। इस संबंध में टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि प्रदेश सरकार ने इंदौर का नाम केंद्र सरकार को भेजा ही नहीं। क्योंकि यदि इंदौर में भी ट्रिब्यूनल स्थापित किया जाएगा तो उसका खर्च प्रदेश सरकार को उठाना होगा। लेकिन ऐसा लगता है कि प्रदेश सरकार जीएसटी ट्रिब्यूनल पर अतिरिक्त खर्च करना नहीं चाहती है। स्टेट जीएसटी ट्रिब्यूनल का गठन नहीं होने से बड़ी संख्या में द्वितीय अपील के मामले लंबित है। द्वितीय अपील के लिए प्रकरण की राशि का 10 प्रति. जमा करने का दबाव जीएसटी विभाग द्वारा संबंधित व्यापारियों पर बनाया जा रहा है। यह राशि जमा नहीं करने पर खाते सीज करने की बात कही गई है। मध्य प्रदेश में भोपाल में जीएसटी ट्रिब्यूनल स्थापित करने का नोटिफिकेशन जारी किया गया है। हमने इंदौर में भी इसे स्थापित करने की मांग की है। देश के कई राज्यों में एक से अधिक जीएसटी ट्रिब्यूनल हैं। लगता है प्रदेश सरकार खर्चे से बचने के लिए इंदौर में जीएसटी ट्रिब्यूनल स्थापित करना नहीं चाहती है।
– जेपी सराफ, अध्यक्ष, टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन

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