- इंदौर में संक्रमण का ठीक अनुमान नहीं…घर-घर में लोग कर रहे हैं टेस्ट
इंदौर। मात्र ढाई सौ रुपए में बाजार में मिलने वाली रेपिड टेस्ट कीड से कई लोग कोरोना की जांच कर रहे हैं और कोई लक्षण नहीं होने के चलते वे आरटीपीसीआर टेस्ट भी नहीं करा रहे हैं, जिससे उन मरीजों का आंकलन नहीं हो पा रहा है, जो रेपिड टेस्ट में पाजिटिव निकल रहे हैं। इस कारण इंदौर में कोरोना मरीजों की वास्तिविक संख्या का पता नहीं चल पा रहा है। अनुमान है कि प्रशासन द्वारा जारी किए जा रहे आंकड़ों से तीन या चार गुना मरीज शहर में रोज निकाल रहे हैं।
इंदौर शहर में मरीजों की संख्या फिलहाल 1800-1900 बताई जा रही है, लेकिन हकीकत यह है कि यह आंकड़ा 5 से ु7 हजार भी हो सकता है, क्योंकि रेपिड टेस्ट कीट बाजार में उपलब्ध होने के कारण लोग घरों में ही कोरोना की जांच करा रहे हैं और इस बात का सही अनुमान नहीं लग पा रहा है कि मरीज कितने निकल रहे हैं। क्योंकि फिलहाल मरीजों को कोई खास लक्षण नहीं है, इस कारण वे घर में ही इलाज करा रहे हैं। प्रशासन द्वारा मरीजों के लिए मेडिकल कीट दी जा रही है, लेकिन वह कीट भी लेने के बजाए लोग मेडिकल स्टोर से दवाइयां ले रहे हैं। कई मेडिकल स्टोरों में कोरोना दवाइयों का कीट बना रखा है और जो भी मरीज दवा लेने के लिए जाता है, वे उसे कीट दे देते हैं। इस कारण घर पर इलाज कराने वाले मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है।
रेपिड जांच फायदेमंद…कोरोना नियंत्रण में सहायक: कलेक्टर
बाजार से कोरोना रेपिड टेस्ट होम किट मशीन ला कर, घर बैठे कोरोना की जांच करने वालो पर कलेक्टर का कहना है कि अगर लोग रेपिड टेस्ट किट के जरिये यह पता लगा रहे है कि वे कोरोना पाजेटिव है कि नही तो इसमे कुछ भी गलत नही है । उन्हें घर बैठे यदि पता चल जाता है कि वे कोरोना पाजेटिव है , तो वह उतनी ही जल्दी उसका इलाज भी कराएंगे इससे वह जल्दी ठीक होंगे । इस कारण घरेलू जांच में साबित कोरोना पाजेटिव मरीजो की संख्या या आंकड़ों की जानकारी से कंही ज्यादा जरूरी हमारे लिए उन मरीजो का स्वास्थ्य औऱ जिंदगी जरूरी है। वैसे भी शहर या जिले में ऐसे कई मरीज है जिन्हें हम ट्रेस नही कर पा रहे है , लेकिन उनकी संख्या पता नही चलने से जांच या इलाज सम्बन्धित व्यवस्था से कोई फर्क पड़ रहा है।