इंदौर। शहर के नवलखा बस स्टैंड से चलने वाली सौ से ज्यादा बसों को नवनिर्मित पत्थर मुंडला बस स्टैंड से संचालित करने का जो आदेश प्रशासन द्वारा निकाला गया है उससे बस आपरेटर तो ठीक इन बसों से सफर करने वाले हजारों यात्री जितना परेशान होंगे उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। जबकि 7-8 बीघा में बने इस बस स्टैंड को बंद करने के बजाय इसे विकसित कर यहां से वर्तमान के स्थान पर बगैर किसी परेशानी के तीन गुना बसें संचालित हो सकती हैं ।
सन् 1991 में निर्मित हुए नवलखा इंदिरा कॉम्प्लेक्स बस स्टैंड को कुछ दिन पहले तीन इमली चौराहा पर अस्थायी रूप से संचालित किया जाने लगा था, मगर यात्रियों को होने वाली परेशानी को देखते हुए प्रशासन ने नवलखा बस स्टैंड से फिर से बसों का संचालन शुरू कर दिया था। अब फिर षड्यंत्र के तहत इस बस स्टैंड को पत्थर मुंडला ट्रांसफर किया जा रहा है। वर्तमान में नवलखा बस स्टैंड से कंपेल, हरदा, उदयनगर, चापड़ा, पुंजापुरा, बागली, सिवनी, होशंगाबाद, बैतूल, इटारसी, नसरुल्लागंज, सलकनपुर रूट की बसों का संचालन होता है। इन बसों को पत्थर मुंडला स्थित बस स्टैंड भेजा जा रहा है।
नवलखा बस स्टैंड बचाओ समिति के अनुसार एयरपोर्ट क्षेत्र में रहने वाले यात्री को यदि हरदा-नेमावर रूट की यात्रा करना होगी तो उसे 250-300 रुपए सिर्फ शहर में ऑटो रिक्शा या अन्य कोई वाहन से आने का भाड़ा देना होगा, जो बस किराए से डेढ़ गुना होगा, जिससे यात्रा करने वाले शहरवासियों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। वर्तमान में शहर के विस्तार के साथ लोकल और अंतरराज्यीय बस स्टैंड के लिए अलग-अलग व्यवस्था होना चाहिए, मगर फिलहाल नवलखा बस स्टैंड से गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, यूपी को जाने वाली बसों का संचालन भी होने लगा, जिसके चलते बस स्टैंड की स्थिति खराब होने लगी है। अंतरराज्यीय बस आपरेटरों के नवलखा बस स्टैंड पर कब्जे का परिणाम नेमावर-हरदा रोड बस के आपरेटरों को भुगतना पड़ रहा है और उन्हें पत्थर मुंडला बस स्टैंड भेजा जा रहा है, जहां सुविधा के नाम पर सडक़ तक नहीं है। पत्थर मुंडला से पालदा तक सडक़ पर रोजाना जाम लगता है। समिति सदस्यों के अनुसार यातायात सुधार के नाम पर नवलखा बस स्टैंड को हटाए जाने का षड्यंत्र रोका जाना जरूरी है।
5 हजार परिवार होंगे प्रभावित
नवलखा बस स्टैंड से प्रतिदिन 5 हजार परिवारों का भरण-पोषण होता है। यहां संचालित होने वाली पान की दुकान, चाय की होटल, लॉजों के संचालक और कर्मचारियों के सामने रोजी-रोटी का
सवाल खड़ा
हो जाएगा।
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