नई दिल्ली। भारत और चीन (India and China) से सबसे ज्यादा करोड़पति लोग दुनिया के दूसरे देशों में जाकर बस रहे हैं। करोड़पतियों (Millionaires) का अपने देश छोड़ने का यह सिलसिला दुनिया के कई देशों में चला है, लेकिन, एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि 2019 में 16,000 चीनी नागरिकों ने अपना देश छोड़ दिया तो भारत छोड़कर विदेश में जा बसने वालों की तादाद 7,000 रही। ऐसे लोगों का सबसे पसंदीदा ठिकाना ऑस्ट्रेलिया बन रहा है, उसके बाद अमेरिका और कई यूरोपीय देश भी शामिल हैं। कुछ देशों ने अपने देशों में निवेश बढ़ाने के लिए इन्हें तरह-तरह का ऑफर भी दे रहे हैं। लेकिन, एक बात दिलचस्प है कि ऐसे लोग अपना देश छोड़कर जा तो रहे हैं, लेकिन इतनी जल्दी दूसरे देशों की नागरिकता लेने में हिचकिचा रहे हैं।
एफ्रएशिया बैंक ने यह शोध उन अमीरों पर किया है, जिनकी कुल संपत्ति 10 लाख डॉलर से लेकर 99 लाख डॉलर के बीच है। ऐसे लोगों ने नए देशों में अपना ठिकाना बना लिया है और साल में कम से कम 6 महीने वहीं बिता रहे हैं, हालांकि, अपने देश की कुल करोड़पति आबादी के अनुपात में देश छोड़ने वाले अमीरों में रूस और तुर्की के लोगों की संख्या ज्यादा है। रूस से 6 फीसदी और तुर्की से 8 फीसदी अमीर देश छोड़कर दूसरे देशों में जा बसे हैं। हैरानी की बात ये है कि इस लिस्ट में हॉन्ग कॉन्ग और फ्रांस जैसे औद्योगिक रूप से संपन्न देश भी शामिल हैं। 2019 में हॉन्ग कॉन्ग की 3 फीसदी करोड़पति आबादी विदेशों में जा बसी तो फ्रांस से ऐसा करने वालों की संख्या 1 फीसदी रही।
भारत और चीन में एक बात समान है कि दोनों देशों में जितने लोगों की कुल संपत्ति 10 लाख डॉलर से लेकर 99 लाख डॉलर के बीच है, उनमें से देश छोड़कर भागने वालों की तादाद सिर्फ 2 फीसदी ही है। यानी दूसरे देशों की तुलना में यह संख्या तो ज्यादा है, लेकिन रूस और तुर्की के मुकाबले इसका अनुपात कम है। मजे की बात है कि दुनियाभर के देशों से निकलने वाले ज्यादातर अमीरों का ठिकाना 2019 में ऑस्ट्रेलिया बना। उस साल वहां पहुंचने वाले करोड़पतियों की संख्या 12,000 दर्ज की गई। दूसरे स्थान पर 10,800 की संख्या के साथ अमेरिका रहा, जबकि 4,000 अमीरों ने अपने देशों से बोरिया-बिस्तर समेट कर स्विटजरलैंड को स्थाई ठिकाना बना लिया। अमीरों को लुभाने वालों में पुर्तगाल और ग्रीस भी टॉप 10 देशों में शामिल हैं।
शोध के मुताबिक काम के बेहतर मौके, टैक्स और वित्तीय चिंताएं, ऐसे फैसले लेने के पीछे की मुख्य वजहें हैं। लेकिन, ऐसे फैसले कई बार निजी भी होते हैं। मसलन, बेहतर हेल्थकेयर सिस्टम, बेहतर शिक्षा व्यवस्था, सुरक्षा, बढ़िया स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग की तलाश में भी अमीरों ने अपना देश छोड़ दिया है, लेकिन, इनके अलावा अपने-अपने देशों में शासन की ओर से होने वाली सख्ती भी नया घर खोजने का एक बड़ा कारण माना जा रहा है। लेकिन, जिन देशों में यह अमीर आबादी रहने के लिए पहुंच रही है, वह भी इसे अपने लिए मौके के तौर पर ले रहे हैं।
मसलन, पुर्तगाल और ग्रीस दोनों इंवेस्टर प्रोग्राम चला रहे हैं, जिससे कि उन्हें यूरोपियन यूनियन की रेसिडेंसी और नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो सकता है। लेकिन, ज्यादातर लोग फिलहाल वर्क वीजा, पारिवारिक वीजा जैसे परंपरागत साधनों से ही काम चलाने की कोशिश कर रहे हैं।
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