इस्तांबुल । तुर्की (Turkey) में हजारों फ्लैमिंगो (Flamingo) पक्षियों का लाश मिलने से हड़कंप मच गया है. इन पक्षियों को भारत में राजहंस या हंसावर भी कहते हैं. ये फ्लैमिंगो (Flamingo) तुर्की के सूखे हुए लेक तुज (Lake Tuz) झील में मरी पाई गई हैं. जिसकी वजह से पर्यवरणविद और पक्षी विज्ञानी (environmentalist and ornithologist) परेशान हो रहे हैं. अब साइंटिस्ट यह पता करने में जुट गए हैं कि हजारों की संख्या में मारे गए इन राजहंसों की मौत की वजह क्या है।
तुर्की (Turkey) के कोन्या प्रांत में स्थित लेक तुज में इन पक्षियों की लाशें पड़ी हैं. इनकी ड्रोन फुटेज से पता चलता है कि कुछ लाशें तो सड़ चुकी हैं, कुछ आधी मिट्टी में धंसी हैं. कुछ ऊपर ही पड़ी हुई हैं. तुर्की के कृषि और वन मंत्री बेकिर पाकदेमिरिली ने कहा कि प्राथमिक जांच में पता चला है कि इन राजहंसों को जहर नहीं दिया गया है. करीब 1000 फ्लैमिंगो के बच्चों की भी मौत हुई है।
पर्यावरणविदों का मानना है कि तुर्की के इस इलाके की सिंचाई प्रणाली में खामी होने की वजह से यहां पर पानी की कमी हुई है. जलवायु परिवर्तन और सूखे की वजह से इन खूबसूरत पक्षियों की मौत हुई होगी. टर्किश एनवायरमेंटल फाउंडेशन TEMA ने पिछले साल एक रिपोर्ट दी थी, जिसमें बताया गया था कि कोन्या प्रांत में पानी की क्षमता 4.5 बिलियन क्यूबिक मीटर है. जबकि खपत 6.5 बिलियन क्यूबिक मीटर हो चुका है।
पर्यवरणविद और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर फाहरी तुन ने कहा कि लेक तुज में पानी के सप्लाई के लिए जिस नहर को बनाया गया था, उसे अब खेतों की सिंचाई के लिए मोड़ दिया गया है. इसकी वजह से कोन्या में खेती हो रही है. लेकिन लेक तुज में पानी की किल्लत हो गई. झील से पानी खत्म हो गया है।
स्थानीय आंकड़ों के मुताबिक हर साल लेक तुज में 5 से 10 हजार फ्लैमिंगो जन्म लेते हैं. फाहरी तुन ने कहा कि इस साल सिर्फ 5 हजार अंडे ही दिखे थे. जिनमें से ज्यादातर मर गए. क्योंकि लेक तुज का ज्यादातर हिस्सा सूख गया है. डोगा नेचर एसोसिएशन के प्रेसीडेंट डिक्ले तुबा किलिक ने कहा कि इन राजहंसों को बचाने का एक ही तरीका है, नहर के पानी को वापस से लेक में छोड़ा जाए।
डिक्ले तुबा किलिक ने कहा कि सिंचाई प्रणाली से इन पक्षियों की मौत का लेना-देना नहीं है. बात सिर्फ इतनी सी है कि हमें नहर के पानी को लेक में वापस छोड़ना होगा. लेक तुज (Lake Tuz) तुर्की का दूसरी सबसे बड़ी झील है. इसके अलावा यह दुनिया की सबसे बड़ी हाइपरसैलाइन झीलों की सूची में शामिल है. यानी यह एक सॉल्ट लेक है. यहां पर नमक की मात्रा बहुत ज्यादा है।
वन मंत्री बेकिर पाकदेमिरिली ने कहा कि पानी की कमी और बचे हुए पानी में रसायनों की ज्यादा मात्रा की वजह से इन पक्षियों की मौत हुई है. क्योंकि जो पक्षी मरे हैं, वो तड़पते समय उड़ने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन उड़ नहीं पा रहे थे. इससे ये पता चलता है कि उनके शरीर में ऐसे रसायन गये हैं जो उन्हें परेशान कर रहे थे. साथ ही पानी की कमी से शरीर डिहाइड्रेट हो चुका था।
बेकिर पाकदेमिरिली ने कहा कि लेक तुज को वापस ठीक करने के लिए जरूरी कदम उठाए जा चुके हैं. लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि तुर्की की सरकार किस तरह के कदम उठान जा रही है. साल 2000 में लेक तुज को स्पेशली प्रोटेक्टेड एरिया घोषित किया गया था. ताकि यहां की जैव विविधता, प्रकृति और सांस्कृतिक संसाधनों को बचाया जा सके।
पर्यावरणविदों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन तो बड़ी वजह है ही. पिछले साल ही लेक तुज में पानी 30 फीसदी कमी दर्ज की गई थी. लेकिन सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है. फाहरी तुन ने कहा कि नहर का पानी खेतों में मोड़ देने से इन खूबसूरत पक्षियों का संसार उजड़ गया. अब न पानी आ रहा है, न ही पक्षी. झील के सूखे हिस्सों में बची हैं तो सिर्फ लाशें।
फाहरी ने कहा कि इस झील में इन पक्षियों की मौत के लिए हम सभी जिम्मेदार हैं. क्योंकि सरकार ने तो स्थानीय दबाव में आकर नहर के पानी का रुख मोड़ दिया लेकिन पक्षियों और झील के बारे में नहीं सोचा. अब उनके सामने इन पक्षियों की सड़ी-गली लाशें पड़ी हैं. इन पक्षियों को बचाने के लिए झील में पानी की जरूरत है. जिसे तत्काल शुरु किया जाना चाहिए।
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