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    हरियाणा और पंजाब से हजारों किसान बैरिकेड तोड़कर चंडीगढ़ में घुसे, राजभवन जाने की जिद पर अड़े

  • June 26, 2021

     

    चंडीगढ़। कृषि कानून रद्द कराने की मांग के लिए शुरू हुए किसान आंदोलन को सात महीने पूरे हो गए हैं। शनिवार को चंडीगढ़ में 32 किसान संगठनों ने राजभवन की तरफ कूच किया। पंचकूला और मोहाली से हजारों किसानों ने बैरिकेड तोड़कर चंडीगढ़ में प्रवेश किया। चंडीगढ़ में घुसे किसानों को प्रेस लाइट प्वाइंट पर जबरन रोका गया। एसएसपी कुलदीप सिंह चाहल भी मौके पर पहुंचे।

    किसानों को यहीं रुकने के लिए कहा गया लेकिन किसान आगे बढ़ने की जिद पर अड़े रहे। इसके बाद डीसी मंदीप सिंह बराड़ भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने प्रेस लाइट प्वाइंट पर ही किसानों से ज्ञापन लिया है और उन्हें आश्वासन दिया कि वह इसे प्रशासक वीपी सिंह बदनौर तक पहुंचाएंगे। उन्होंने सभी से शांति की अपील की है। इसके बाद सेक्टर18/17 की विभाजित सड़क पर इकट्ठा हुए किसान संगठन लौटने शुरू हो गए। 

    इससे पहले दोपहर करीब पौने एक बजे किसान पंचकूला के नाडा साहिब गुरुद्वारा से रवाना हुए। वहीं मोहाली से किसानों ने अंब साहिब से यादविंदर चौक की तरफ कूच किया। इस दौरान किसान नेता रुलदू सिंह ने कहा कि आज के दिन इंदिरा गांधी की तरफ से इमरजेंसी लगाई गई थी। उसे याद करते हुए यह मोर्चा निकाला जा रहा है।


    यादविंदर चौक पर किसानों ने पुलिस के बैरिकेड तोड़ दिए। किसान नेता रणजीत सिंह ने कहा कि हमने 5000 तक के किसानों का टिकट सोचा था लेकिन अब तक 30 हजार से ज्यादा किसानों का टिकट हो चुका है। दोपहर करीब एक बजे किसान चंडीगढ़ की बॉर्डर पर पहुंचे। चंडीगढ़ पुलिस ने पूरी तरह बैरिकेडिंग कर रखी थी और पानी के टैंकर भी तैनात किए गए थे। किसानों ने बैरिकेड हटाए तो चंडीगढ़ पुलिस ने पानी की बौछार की। किसान बैरिकेड तोड़कर चंडीगढ़ में घुसे। वहीं पंचकूला से भी किसान बैरिकेड तोड़कर चंडीगढ़ घुस गए हैं।

    पंजाब के किसान जीरकपुर और मुल्लांपुर बैरियर से चंडीगढ़ में घुसे। वहीं, हरियाणा के किसान हाउसिंग बोर्ड लाइट प्वॉइंट से चंडीगढ़ में आए। इन रास्तों पर पुलिस बल तैनात है। पंचकूला में पुलिस ने घग्गर नदी के पुल के पास हैवी बैरिकेडिंग की है। इसके अलावा किसानों को रोकने के लिए बैरिकेड के साथ सीमेंट की बीम भी लगाई गई है।

    वहीं हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने कहा है कि किसान आठ माह से बॉर्डर पर बैठे हैं। वे निराश हैं। इसलिए आंदोलन को जिंदा रखने के लिए उनके नेता रोज एक नया कार्यक्रम बनाते हैं। आज राजभवन में ज्ञापन देने की बात कही जा रही है। ऐसा होता रहता है।

    कृषि कानून रद्द कराने की मांग के लिए पिछले सात महीने से किसान आंदोलन कर रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने शांतिपूर्ण तरीके से धरना-प्रदर्शन करने की बात कही है। संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों बलबीर सिंह राजेवाल, दर्शनपाल, जगजीत सिंह दल्लेवाल, गुरनाम सिंह चढूनी, योगेंद्र यादव, युद्धवीर सिंह ने कहा कि यह दिन आपातकाल के 46 साल पूरे होने के तौर पर भी मनाया जा रहा है। क्योंकि तब नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर अंकुश लगा था और इस समय भी ऐसा ही अंकुश लगाया जा रहा है। सात महीने बात भी सरकार किसानों की बात नहीं सुन रही है। उनकी आवाज को दबाया जा रहा है।

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