जबलपुर। जवाहर लाल नेहरू कृषि विवि का पूरा प्रशासनिक सिस्टम विवि के ही एक प्रोफेसर के सामने बौना साबित हो रहा है। ये प्रोफेसर हैं डॉ.एमए खान, जिन्हें सरकारी जमीन पर कब्जा करने के आरोप में भू-माफिया करार दिया जा चुका है। इस केस में विवि में ही कार्यरत डॉ. परवेज राजन खान भी शामिल है। ये प्रोफेसर खान का पुत्र है। पिता-पुत्र की ये जोड़ी 45 एकड़ सरकारी जमीन पर कब्जा करने और वहां से बेदखल होने के गंभीर केस में उलझने के बाद भी इत्मिनान से नौकरी कर रही है। जवाहर लाल नेहरू कृषि विवि प्रशासन ने इन दोनों को कभी छूने की जुर्रत नहीं की।
ईओडब्ल्यू ने भेजा पत्र
आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ(ईओडब्ल्यू) ने जवाहर लाल नेहरू कृषि विवि को एक पत्र लिखकर इन पिता-पुत्र के विरुद्ध शिकायतों की जांच करने की अनुमति मांगी, लेकिन विवि प्रशासन अभी तक मौन साधे हुये है। ईओडब्लयू ने ये लैटर 23 नवंबर 2022 को लिखा था,लेकिन आश्चर्यजनक है कि विवि के अधिकारी कह रहे हैं कि उन्हें इस पत्र की जानकारी ही नहीं है। भ्रष्टाचार की गंभीर शिकायतों की जांच करने की अनुमति देने की हिम्मत भी विवि प्रशासन नहीं जुटा पा रहा है।
विभागीय जांच पर प्रश्न चिन्ह
बीते साल जब ये जमीन पर कब्जे वाला केस सामने आया तो जवाहर लाल नेहरू कृषि विवि ने विभागीय जांच के लिये एक कमेटी का गठन किया। इस कमेटी पर पहले दिन से ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया गया था और अब शंकाएं सत्य साबित हो रही हैं। जांच कमेटी भी मजाक साबित हुआ।
कब्जे का मामला क्या था
ये मामला है करीब 50 एकड़ सरकारी जमीन पर कब्जे का। शहपुरा तहसील के ग्राम खैरी के गौ-बच्छा नर्मदा घाट के किनारे की जमीन पर कब्जा किया गया था। एक बार पहले भी इन कब्जों को हटाया गया था,लेकिन बाद में ये फिर से आबाद हो गये। यहां नर्सरी और प्लांटेशन करके कमाई भी शुरु की जा चुकी थी। तत्कालीन कलेक्टर इलैया राजा ने शिकायत पर कार्रवाई करते हुये जांच कराई और खसरा नंबर 146/1,146/2,242,248 और 298/5 की बेशकीमती जमीन के कब्जों को ध्वस्त कर दिया।
जल्दी कार्रवाई आगे बढ़ेगी
इस मामले में बहुत गंभीरता से विचार कर रहे हैं। विवि की ओर से शीघ्र ही ईओडब्ल्यू को जवाब भेजा जाएगा। विभागीय जांच कमेटी की कार्रवाई कहां पहुंची,ये भी जानकारी ली जाएगी।
आरएस सिसोदिया, रजिस्ट्रार जनेकृविवि
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