भोपाल। मानसून (Monsoon) के साथ ही आने वालेे खेती के खरीफ सीजन में दलहन और तिलहन की फसलों की बुआई करने वाले किसानों को ज्यादा लाभ मिलेगा। मप्र (MP) के लिहाज से देखें तो दलहन में तुवर और उड़द बोने वाले किसानों को मूंंग की फसल लेेने वाले किसानों के मुकाबले ज्यादा लाभ मिलेगा। इसी तरह तिलहन फसलों में तिल्ली, मूंगफली और कपास्या उगाने वाले किसानों को सोयाबीन उपजाने वालों के मुकाबले कहीं ज्यादा फायदा एमएसपी मेें दिया गया है।
कैबिनेट कमेटी (Cabinet Committee) की सिफारिश के आधार पर खरीफ के मार्केटिंग सीजन (Marketing Season) 2021-2022 के लिए घोषित नए न्यूनतम समर्थन मूल्य मानसून के बाद सर्दियों के ठीक पहले आने वाली फसलों पर लागू होंगे। बुधवार को घोषित नए समर्थन मूल्य में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी तिल्ली के समर्थन मूल्य में की गई है। मौजूदा एमएसपी 452 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि कर तिल्ली का नया समर्थन मूल्य 7,307 रुपये प्रति क्विंटल किया जा रहा है। दूसरे नंबर पर तुवर और उड़द की फसल लेने वाले किसानों को लाभ होगा।
तुवर और उड़द दोनों दलहनों के समर्थन मूल्य में 300 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि कर 6300 रुपये प्रति क्विंटल करने की घोषणा की गई है। इसके मुकाबले मूूंग के समर्थन मूल्य में 79 रुपयेे प्रति क्विंटल की वृद्धि कर 7275 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है। मालवा की प्रमुख खरीफ फसल सोयाबीन के समर्थन मूल्य में सिर्फ 70 रुपये की वृद्धि कर अगले सीजन के लिए 3950 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया गया है।
इसके मुकाबले मूंगफली के मौजूदा समर्थन मूल्य में 275 रुपये की वृद्धि कर 5550 रुपये प्रति क्विंटल और कपास्या के समर्थन मूल्य में 200 रुपये से 211 रुपये की वृद्धि की घोषणा की गई है। कारोबारियों के अनुसार समर्थन मूल्य मेें वृद्धि का असर खरीफ की बोवनी और बाजार पर नजर आएगा। सरका की मंंशा देश में दाल और खाद्य तेल का उत्पादन बढ़ाना है। इससे तुवर-उड़द की कीमतें स्थानीय बाजार में मजबूत होगी। सोयाबीन और सोया तेल पहले से ही ऊंचाई पर है।
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