फिल्म-निर्माता-निर्देशक केदार शर्मा की पुण्यतिथि आज
इन्दौर। फिल्म निर्माता निर्देशक (Filmmaker Director) केदार शर्मा (Kedar Sharma) बहुत सख्त गुरू थे, वे सेट पर जरा सी भी अनुशानहीनता बर्दाश्त नहीं करते थे। राजकपूर (Raj Kapoor) तब उनके असिस्टेंट थे जब केदार शर्मा ने उनकी जरा सी चूक पर उन्हें थप्पड़ जड़ दिया। हमारी याद आएगी फिल्म के सेट पर उन्होंने तनूजा को चांटा मारा था। केदार शर्मा ने नीलकमल फिल्म में पहली बार राजकपूर और अभिनेत्री के तौर पर मधुबाला (Madhubala) को मौका दिया। बाद में भारतीय फिल्मी दुनिया में इन दोनों सितारों की क्या हैसियत बनी यह बताने की जरुरत नहीं है दोनों फिल्मी जगत में स्टार बन कर छा गए थे।
कोई एक व्यक्ति कितने तरह के काम में महारथ हासिल कर सकता है ये कमाल फिल्म निर्माता व निर्देशक केदार शर्मा (Kedar Sharma) की शख्सियत में बखूबी देखा जा सकता था । 12 अप्रैल 1910 को पंजाब के नरौल वर्तमान पाकिस्तान में जन्मे केदार शर्मा ने पढ़ाई अमृतसर में की। 1933 में उन्होंने देवकी बोस की निर्देशित फिल्म पुराण भगत देखी तो वे सिनेमा के जादू में खो गए। वे कलकता चले गए और पेंटर बनना स्वीकार कर लिया। इत्तेफाक से उन्हें कैमरामैन का काम करने का अवसर मिला। वर्ष 1934 में सीता केदार शर्मा की पहली फिल्म थी। इसके बाद न्यू थियेटर की फिल्म इंकलाब में केदार शर्मा (Kedar Sharma) को एक छोटी सी भूमिका निभाने का मौका मिला। आपने कई फिल्मों में अभिनय भी किया। फिल्म देवदास केदार शर्मा के सिने करियर की अहम फिल्म साबित हुई। इस फिल्म में वह कथाकार और गीतकार की भूमिका में थे। आज ही के दिन 29 अप्रैल 1999 को आपका निधन हो गया था।
शब्दों के जादूगर के साथ लाजवाब गीतकार थे
फिल्म बावरे नैन में मुकेश का गाया गीत तेरी दुनिया में जी लगता, मुकेश और गीता दत्त का गाया इसी फिल्म का गीत खयालों में किसी के इस तरह आया नहीं करते या फिर देवदास का सहगल का गया ये गीत बालम आए बसे मेरे मन में और सहगल का ही फिल्म जिंदगी का गाया ये गीत मैं क्या जानूं क्या जादू है जादू है और मुबारक बेगम का गाया कालजयी गीत कभी तन्हाईयों में यूं हमारी याद आएगी। भी केदार शर्मा ने लिखे थे।
बच्चें के लिए भी अनेक फिल्में बनाई थी
केदार शर्मा (Kedar Sharma) की एक खूबी पर बहुत कम नजर डाली गयी है और वो थी बच्चों के प्रति उनकी संवेदनशीलता। उन्होंने बच्चों के लिए भी कई फि़ल्में बनाईं, जिनमें जलदीप, गंगा की लहरें, गुलाब का फूल, 26 जनवरी, एकता, चेतक, मीरा का चित्र, महातीर्थ और खुदा हाफिज़ शामिल हैं। वे फिल्मी दुनिया में करीब 50 साल तक सक्रिय रहे। उन्होने अपनी फिल्मों के जरिए कई नए कलाकारों को मौका दिया।
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