नई दिल्ली । अगर आप नौकरीपेशा (Employment) हैं तो एचआर की ओर से नई या पुरानी कर व्यवस्था (new or old tax system) चुनने के लिए घोषणा फॉर्म (declaration form) आया होगा। वित्त वर्ष समाप्ति से पहले यानी 1 अप्रैल तक आयकर कानून की धारा 115बीएसी (section 115 BAC of income tax law) के तहत करदाताओं ( taxpayers) को टीडीएस कटौती (TDS deduction) से जुड़ी कर व्यवस्था का (election of tax system) चुनाव करना होगा।
2020-21 से पुरानी और नई कर व्यवस्था (Old and new tax regime from 2020-21) में किसी एक को चुनने का विकल्प है। पुरानी व्यवस्था में आयकर कानून की धारा 80सी(Section 80C), 80डी, एचआरए समेत कई छूट मिलते हैं। नई व्यवस्था में छूट नहीं मिलेगी। इसमें सिर्फ 80 सीसीडी (2) यानी नियोक्ता के योगदान पर छूट का लाभ ले सकते हैं। हालांकि, नई व्यवस्था में कर की दरें कम हैं।
इस संबंध में अतुल कुमार गर्ग, चार्टर्ड अकाउंटेंट का कहना है कि करदाताओं को नए और पुराने स्लैब का चुनाव ध्यानपूर्वक करना चाहिए। आपकी सालाना आय 5 लाख रुपये है तो आप किसी भी स्लैब का चुनाव कर सकते हैं। लेकिन अगर कोई करदाता किसी वित्त वर्ष में 2.5 लाख रुपये से अधिक का छूट क्लेम कर रहा है तो उसके लिए पुरानी व्यवस्था ही बेहतर है। नई व्यवस्था चुनने का लाभ नहीं होगा।
यदि आप समझ नहीं पा रहे हैं कि कौन कर व्यवस्था बेहतर है तो इसके लिए कुल टैक्स पर 4% सेस जोड़कर गणना करें। इसके बाद जहां आपको कम कर देना पड़े, वही व्यवस्था बेहतर है। मान लीजिए, आपकी टैक्स देनदारी तीन लाख रुपये बनती है तो इस रकम पर 4% यानी 12,000 रुपये सेस जोड़ लीजिए। इस तरह सेस के साथ आपकी कुल टैक्स देनदारी 3,12,000 रुपये बनती है।
कमाई/कर व्यवस्था पुरानी नई
2.5 लाख तक 00 00
2.5 से 5 लाख 5% 5%
5 से 7.5 लाख 20% 10%
7.5 से 10 लाख 20% 15%
10 से 12.5 लाख 30% 20%
12 से 15 लाख 30% 25%
15 लाख से ज्यादा 30% 30%
इसमें यह ध्यान रखें कि नौकरीपेशा या पेंशनभोगी, जिसका बिजनेस से कोई आय नहीं है तो वह हर साल नई या पुरानी कर व्यवस्था में किसी एक को चुन सकता है। अगर कमाई का स्रोत कोई बिजनेस है तो नई व्यवस्था चुनने के बाद सिर्फ एक ही बार पुरानी कर व्यवस्था में लौट सकते हैं। जिनकी सालाना आय पांच लाख रुपये से कम है तो किसी भी व्यवस्था में उन्हें कर का भुगतान नहीं करना है। नई व्यवस्था में वरिष्ठ नागरिक ज्यादा कर छूट नहीं मिलती है। सबके लिए छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये ही है।
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