इंदौर। स्वच्छता में शहर (city in cleanliness) को पांच बार अवॉर्ड दिलाने वाले सफाईकर्मियों (sweepers) को कल तक वेतन नहीं मिला था। वे झोनलों से लेकर मुख्यालय (headquarters) के चक्कर लगा रहे थे। शाम को कर्मचारी संघ के बैनर तले अफसरों के पास मामला पहुंचा तो संबंधितों को फटकार लगाई गई और वेतन पत्रक तैयार करने का सिलसिला शुरू हुआ।
शहर के 19 झोनल कार्यालयों के अंतर्गत 8 हजार से ज्यादा स्थायी और अस्थायी सफाई कामगार हैं, जो रोज अलग-अलग वार्डों में शहर को चकाचक रखने के लिए निकल पड़ते हैं। इन्हीं की बदौलत निगम पिछले पांच साल से पूरे देश में सफाई के मामले में परचम लहराता रहा है। पिछले दिनों सफाईकर्मियों के सम्मान में विशाल भोज और समारोह आयोजित किया गया था। पूर्व में सभी सफाई कामगारों (workers) को 1 से 3 तारीख तक के बीच वेतन मिलता रहा है, लेकिन इस बार विभिन्न कारणों के चलते वेतन 6 तारीख तक नहीं मिल पाया तो पहले कई सफाई कामगारों ने झोनलों (Zones) पर शिकायत की।
उसके बाद वे मुख्यालय पहुंचे और सफाई कर्मचारी संघ के अध्यक्ष लीलाधर करोसिया (President Liladhar Karosia) को पूरा मामला बताया तो वे सफाई कर्मचारियों को लेकर निगम के आला अधिकारियों के पास पहुंचे। अधिकारियों ने भी संबंधितों को फटकार लगाई और वेतन पत्रक देर रात तक तैयार कर आज से वेतन जारी करने के निर्देश दिए। बताते हैं कि विभिन्न कार्यक्रमों और व्यस्तताओं के चलते पत्रक तैयार नहीं हो पाए थे, जिसके चलते मामला उलझन में पड़ गया था।
इनाम की तरफदारी करने वाले नेता वेतन दिलाने तक की गुहार करते नजर नहीं आए
स्वच्छता में पंच लगाने के बाद सफाईकर्मियों की वाहवाही करने वाले नेता अब वेतन मामले से पल्ला झाड़ते नजर आए। सफाईकर्मियों ने कई नेताओं से गुहार लगाई थी, लेकिन अधिकांश नेता इस मामले से कन्नी काटते रहे। पूर्व में सफाईकर्मियों के लिए लड़ाई लडऩे का दावा करने वाले संगठन के पदाधिकारी भी कई बार ऐसी स्थितियों के दौरान चुप्पी साधे रहते हैं। अब आज भी इस मामले को लेकर संशय है कि सफाई कामगारों को वेतन मिल सकेगा।
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