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    बच्चों को शिक्षा देने वालों ने खूब झूठ भी बोला और गुमराह भी किया

  • November 20, 2024

    • स्कूलों के असहयोग से जांच में देर, पांच और स्कूल संचालकों के चेहरे हुये उजागर, बेतहाशा फीस बढ़ाकर भर लिये खजाने, डीईओ ऑफिस में जानकारी जमा की, लेकिन फीस बढ़ाने का तथ्य छिपाया

    जबलपुर। अभिभावकों ने जिन स्कूलों में अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के लिए दाखिल किया था, उनके संचालकों ने फीस बढ़ोत्तरी और नकली किताबों की जांच-पड़ताल में अधिकारियों से झूठ भी खूब बोला और गुमराह भी किया। इन स्कूलों ने जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में वार्षिक जानकारी से जुड़े दस्तावेज तो जमा किये,लेकिन बड़ी चालाकी से फीस बढ़ोत्तरी का जिक्र नहीं किया। कुछ स्कूलों ने ये तक जवाब दिया कि उन्होंने दस्तावेज जमा किए हैं,लेकिन कोरोना महामारी के कारण पावती नहीं मिली। बाद में जब पड़ताल हुई तो हकीकत इससे ठीक उलट थी। जिला जांच समिति ने इन स्कूलों की फीस बढ़ोत्तरी को अमान्य कर दिया।



    मिलावटखोरों को राहत नहीं तो स्कूल वालों पर मेहरबानी क्यों
    एक तरफ मिठाई,दवा और अन्य खाने-पीने की वस्तुओं में मिलावट करने वालों पर सख्त कार्रवाई की हिमायत की जाती है,लेकिन दूसरी तरफ स्कूल संचालकों के फर्जीवाड़े पर अभी भी समाज का एक वर्ग नरमी बरतने की इच्छा रखता है। पता नहीं क्यों, स्कूल संचालकों के गुनाह को कमतर आंका जा रहा है,जबकि खाद्य पदार्थ में मिलावट करने से ज्यादा बड़ी विसंगति स्कूल संचालकों ने की है।

    आखिर क्यों है कोर्ट से राहत की उम्मीद
    बकायदा अधिनियम के तहत होने वाली इस कार्रवाई के बावजूद स्कूलों संचालकों को कोर्ट से राहत की उम्मीद क्यों हैं, ये एक बड़ा सवाल है,जो कानूनी गलियारों में भी सरगर्म है। जानकारों की मानें तो चूंकि अधिनियम का पालन करते हुये पूरे प्रदेश में केवल जबलपुर ही एकमात्र जिला है,जहां स्कूलों की हठधर्मिता और लूटमार पर अंकुश लगाया गया है। भोपाल, इंदौर और ग्वालियर जैसे बड़े माने जाने वाले शहरों में अभी भी पुराना ढर्रा चल रहा है। जबलपुर में बड़ी कार्रवाई होने के कारण ही ऐसा प्रतीत होता है कि जिला प्रशासन सख्ती कर रहा है,जबकि ये कार्रवाई बेहद सामान्य श्रेणी की है। जैसी कि अन्य व्यवसायियों पर की जाती है। यदि बड़े शहरों में भी अभिभावकों के साथ हो रही वसूली से मुक्ति अभियान चलाया जाए तो स्कूल संचालकों को राहत मिलने के सारे बंद हो जाएंगे।

    अब तक 160 करोड़ रुपये की फीस अमान्य
    जांच समिति द्वारा अमान्य की गयी राशि स्कूलों द्वारा बच्चों को वापिस करनी होगी। स्कूलों पर दो-दो लाख का जुर्माना भी लगाया गया है। ये राशि 30 दिन में जमा करने के निर्देश दिए हैं। मध्यप्रदेश निजी विद्यालय अधिनियम 2017 के तहत गठित जिला समिति अब तक जिले के 25 स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई कर चुकी है। पेरेंट्स से अधिक वसूली गए 160 करोड़ की राशि लौटाने के निर्देश जारी किए हैं।

    • सेंट अगस्टीन विद्यालय सगड़ा- 4.76 करोड़ रुपए
    • सेंट्रल एकेडमी हायर सेकेंडरी विजयनगर-3.86 करोड़ रुपए
    • एमजीएम हायर सेकेंडरी हाथीताल, 7.19 करोड़ रुपए
    • आदित्य कॉन्वेंट स्कूल चेरीताल- 5.03 करोड़ रुपए
    • अशोका हॉल जूनियर और हाईस्कूल विजयनगर- 10.67 करोड़ रुपए

    अभिभावक जानकार और जागरूक बनें
    अधिनियम के तहत जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर स्कूलों पर कार्रवाई की गयी। हमारी कार्रवाई सतत जारी है,लेकिन अभिभावकों का जागरूक और जानकार होना अति आवश्यक है। एडमिशन के पहले ही अभिभावकों को सारी जानकारियां जुटानी चाहिए। ये एक लंबी लड़ाई है,जिसे सबको मिलकर आगे बढ़ाना होगा।
    दीपक सक्सेना, कलेक्टर

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