नई दिल्ली: वैश्विक अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी की शुरुआत होने के बाद लगातार चुनौतियों का सामना कर रही है. महामारी के असर से पूरी तरह से उबरा जाता, उसके पहले ही पूर्वी यूरोप में युद्ध (Russia-Ukraine War) की शुरुआत हो गई, जिससे पिछला साल भी वैश्विक अर्थव्यवस्था (Global Economy) के लिए ठीक नहीं रहा. अब इस साल यानी 2023 में इस मोर्चे पर कुछ सुधार की उम्मीद की जा रही है.
इतनी रह सकती है वृद्धि दर
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) का मानना है कि साल 2023 के दौरान वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि करने की रफ्तार 03 फीसदी से कम रह सकती है. अगर भारत और चीन तेज दर से आर्थिक वृद्धि नहीं करते तो ग्लोबल जीडीपी ग्रोथ रेट इससे काफी कम रह जाती. आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्तालिना जॉर्जिवा (IMF MD Kristalina Georgiva) का तो कहना है कि 2023 के दौरान वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि में लगभग आधे हिस्से का योगदान भारत और चीन मिलकर देंगे.
भारत और चीन से दुनिया को सहारा
आईएमएफ एमडी ने ये बातें न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए एक हालिया इंटरव्यू में कहीं. उन्होंने कहा, उभरती अर्थव्यवस्थाओं खासकर एशिया से कुछ गति मिल रही है. ऐसा अनुमान है कि 2023 के दौरान भारत और चीन दुनिया की आर्थिक वृद्धि में आधा योगदान देंगे. अन्य अर्थव्यवस्थाओं के सामने तीखी चढ़ाई है.
मुश्किल होंगे अगले पांच साल
हालांकि वैश्विक अर्थव्यवस्था की चुनौतियां अभी कम नहीं हुई हैं. आईएमएफ एमडी ने चेताया कि कोरोना महामारी के चलते आए व्यवधानों और रूस-यूक्रेन युद्ध का असर इस साल भी देखने को मिल सकता है. धीमी आर्थिक वृद्धि का यह दौर लंबा चलने की भी आशंका है. जॉर्जिवा को लगता है कि अगले पांच साल तक दुनिया की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार 03 फीसदी से कम रह सकती है.
विकसित देशों के सामने भी चुनौतियां
आपको बता दें कि पिछले साल के दौरान वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर की रफ्तार 6.1 फीसदी से कम होकर 3.4 फीसदी पर आ गई थी. आईएमएफ चीफ ने कहा कि यह साल कम आय वाले देशों के सामने महंगे ब्याज की समस्या लेकर आ रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि 2023 के दौरान करीब 90 फीसदी विकसित देशों की आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट आ सकती है.
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