नई दिल्ली। सरकार ने कहा कि धान की बुवाई क्षेत्र (paddy area) में गिरावट के कारण इस साल खरीफ सीजन के दौरान चावल के उत्पादन (rice production) में एक से 1.12 करोड़ टन की गिरावट (1.12 million tonnes fall) आ सकती है। खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने शुक्रवार को यहां आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में यह जानकारी दी।
खाद्य सचिव का यह बयान गैर-बासमती चावल के निर्यात पर 20 फीसदी निर्यात शुल्क और टूटे चावल पर प्रतिबंध लगाने के बाद आया है। उन्होंने कहा कि खरीफ सीजन में चावल के उत्पादन में 10-12 मिलियन टन (एक से 1.12 करोड़ टन) की कमी हो सकती है। उन्होंने कहा कि चावल के उत्पादन में एक करोड़ टन के नुकसान की आशंका है, लेकिन सबसे खराब स्थिति में यह इस साल 1.2 करोड़ टन कम हो सकता है। हालांकि, पांडे ने कहा कि देश में चावल का सरप्लस उत्पादन होगा।
सुधांशु पांडे ने बताया कि कई राज्यों में कम बारिश की वजह से इस खरीफ सीजन में अब तक धान का रकबा 38 लाख हेक्टेयर कम है। हालांकि, उन्होंने कहा कि फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) के दौरान चावल का कुल उत्पादन रिकॉर्ड 13.29 करोड़ टन होने का अनुमान है, जो पिछले पांच साल के 11.64 करोड़ टन के औसत उत्पादन से 1.38 करोड़ टन ज्यादा है। दरअसल खरीफ मौसम भारत के कुल चावल उत्पादन में लगभग 80 फीसदी का योगदान देता है।
उल्लेखनीय है कि कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक चालू खरीफ सत्र में धान का बुवाई क्षेत्र 5.62 फीसदी घटकर 383.99 लाख हेक्टेयर रह गया है। देश के कुछ राज्यों में बारिश कम होने की वजह से धान की बुवाई रकबा घटा है। चीन के बाद भारत चावल का सबसे बड़ा उत्पादक है। चावल के वैश्विक व्यापार में भारत का हिस्सा 40 फीसदी है। (एजेंसी, हि.स.)
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