नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच आठ महीने से अधिक समय से चल रहे युद्ध का अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया है। आठ महीने बाद जो तस्वीर दिख रही है उससे तो यही अंदाजा लग रहा है कि इस युद्ध में यूक्रेन रूस पर भारी पड़ रहा है। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह रूस के बड़े से बड़े हथियारों को फेल हो जाना बताया जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जंग में रूस के कई हथियार फिसड्डी साबित हुए हैं तो यूक्रेनी सेना के कई हथियार पुतिन की सेना पर भारी पड़े हैं। युद्ध में रूस को अगर सबसे ज्यादा नुकसान किसी हथियार से हुआ है वो अमेरिका के पिनाका कहे जाने वाले HIMARS रॉकेट सिस्टम से हुआ है। इस हथियार ने जंग की पूरी तस्वीर ही बदलकर रख दी है। इस हथियार को अमेरिका का पिनाका भी कहा जाता है।
फरवरी में लड़ाई शुरू होने के बाद शुरुआत में जब यूक्रेन की सेना कमजोर पड़ी थी तब अमेरिका समेत कई यूरोपीद उसकी मदद के लिए आगे आए थे। अमेरिका ने उसी समय यूक्रेन को एम14 हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम HIMARS उपलब्ध करवाया था। जिसके बाद से यूक्रेन ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। रूस के एक के बाद एक बड़े हथियारों को मुहंतोड़ जवाब दिया। यूक्रेन HIMARS को जून से ही ऑपरेट कर रहा है। तब से लेकर अभी तक रूस के कई मिसाइलों को यह हवा में मार गिराया है।
कई तकनीक से लैस है यह सिस्टम
HIMARS सिस्टम इसलिए भी जंग में निर्णायक साबित हो रहा है क्योंकि इसे बड़ी आसानी से कहीं भी ले जाया सकता है। यह काफी हल्का हथियार होता है। इसकी सटीकता की कायल पूरी दुनिया है। एक बार निशाना लग जाने के बाद दुश्मन के मिसाइल को यह छोड़ता नहीं है। इस सिस्टम में ड्रोन के साथ जैवलिन एंटी टैंक रॉकेट्स, स्टिंगर एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल जो जीपीएस से लैस है और कई एडवांस्ड माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स लगे हुए हैं।
300 किमी है मिसाइल सिस्टम का रेंज
यूक्रेन के पास फिलहाल 16 HIMARS हैं। इन 16 HIMARS से ही वो रूस की सेना का खदेड़ कर अपनी जमीन पर फिर से कब्जा कर लिया है। अमेरिका की ओर से 18 HIMARS और मिलने वाले हैं। अमेरिका ने 800 मिलियन डॉलर के मदद पैकेज के तहत यूक्रेन को HIMARS देने का फैसला किया था। HIMARS में यूक्रेनी सेना लंबी दूरी की मिसाइल सेट कर रखी है। जिससे की करीब 300 किमी दूर तक की मिसाइलों को मार गिराया जा सकता है।
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