सीहोर: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) इन दिनों भीषण गर्मी (extreme heat) की मार झेल रहा है. गर्मी के मौसम में कई जगह पर जल संकट (Water crisis) भी गहरा गया है. सीहोर जिले (Sehore district) से करीब 40 किलोमीटर दूर कलमखेड़ा गांव (Kalamkheda village) के लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. पीने के लिए वह गांव से करीब 3 किलोमीटर दूर स्थित एक झिरी पर निर्भर है. जिस गढ्ढे में पानी का रिसाव होता है. उसके चारों तरफ पत्थर रखे हैं. उस पर मुरम और मिट्टी डाली हुई है. ग्रामीण पानी भरने के लिए कतार लगाते हैं और पानी को भरते हैं. सभी एक-एक करके अपनी बारी आने का इंतजार करते हैं.
भीषण गर्मी में जहां लोग धूप में निकलने से भी डरते हैं. वहां पर इस गांव के लोग 3 किलोमीटर का न केवल सफर तय करते हैं, बल्कि वहां बैठकर भी पानी के लिए घंटो इंतजार करते हैं. इतना ही नहीं पानी भरने के बाद इसको छानते हैं. कुछ देर के लिए रख रहने देते हैं, इसके बाद इसका उपयोग करते हैं. गांव में मौजूद कुंआ और नलकूप पूरी तरह से सूख गए हैं. 700 की आबादी वाला यह गांव काम धंधा मजदूरी छोड़कर केवल पानी की जद्दोजहद में लगा रहता है. महिलाएं घर का काम करने की बजाय इसी गड्ढे के पास अपनी बारी आने के इंतजार में बैठी रहती है.
गांव के ज्ञान सिंह बरेला का कहना है कि यह कोई आज की बात नहीं है. हम वर्षों से इसी पानी को पीते आ रहे हैं. वर्षों से इस गांव में दिसंबर के बाद से ही जलसंकट की स्थिति बनने लगती है. हम अपनी समस्या को लेकर जिला प्रशासन से लेकर अन्य जिम्मेदारों को अवगत करा चुके हैं, लेकिन कहीं से भी कोई राहत नहीं मिली, यह हाल सिर्फ हमारे गांव का नहीं, बल्कि मोतीपुरा, मगरखेड़ा का भी है.
सीहोर जिले के कलेक्टर प्रवीण कुमार सिंह का कहना है कि मीडिया के माध्यम से जहां से भी इस तरह की खबरें सामने आ रही है, वहां पर टीम भेजी जा रही है. पानी की व्यवस्था करवाई जा रही है. हम लोग ज्यादा से ज्यादा कोशिश कर रहे हैं कि पानी के लिए किसी को असुविधा न हो. वहीं गिरता हुआ जलस्तर भी चिंता का विषय बना हुआ है. कलमखेड़ा को लेकर जो खबर सामने आई है. वहां पर पीएचई विभाग और जनपद की टीम को भेजा है. ग्रामीण जहां पर भी बताएंगे कि पानी निकालने की गुंजाइश है, वहां पर बोरवेल करवाएंगे. इसके अलावा पानी की व्यवस्था भी करेंगे, ताकि उनके लिए परेशानी ना हो.
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