जबलपुर: कुछ एक स्कूलों को छोड़ दिया जाए तो प्रदेश में लगभग हर सरकारी स्कूल के हालात एक जैसे हैं. खास तौर से ग्रामीण इलाकों में सरकारी प्राथमिक स्कूलों (government primary schools) के हालात किसी से छिपे नहीं है. ऐसे में जबलपुर जिले के धर्मपुरा गांव (Dharmapura village of Jabalpur district) ने मिसाल पेश की है, जहां स्कूल तो छोड़िए पूरा का पूरा गांव अपने आप में एक स्कूल है. यहां चोरो तरफ शिक्षा का महौल ही देखने को मिलेगा. खास बात ये कि गांव में ये सब एक शिक्षक की जिद से संभव हो पाया है.
दीवारें देती हैं ज्ञान
जबलपुर से 40 किलोमीटर दूर बसे धर्मपुरा गांव कोई गांव नहीं बल्की गांव के रूप में एक स्कूल है. इसे ऐसा बनाया सरकारी नौकरी पेशा (government job profession) प्राथमिक शिक्षक दिनेश मिश्रा की जिद ने बनाया है. गांव की जिस भी गली में आप निकलेंगे आप को सिर्फ शिक्षा से भरा माहौल और तस्वीरें नजर आएंगी. यहां की दीवारों में ककहरा हो या टेबल या फिर गणित के फॉर्मूले सब कुछ बच्चों को मिल जाता है.
शिक्षक की जिद से गांव बना स्कूल
शिक्षक की जिद्द (teacher’s determination) ने पूरे गांव की तस्वीर और तासीर को ही बदल डाला है. धर्मपुरा की लगभग हर दीवार में रंग रोगन कर कुछ न कुछ शिक्षाप्रद चीजें लिखी गई है. इसके साथ ही कई तरह की पेंटिंग से भी दीवारों के जरिए बच्चों को पाठ्य सामग्री यहां मिल रही है. सरकारी शिक्षक की इस अनोखी पहल को हर कोई तारीफ कर रहा हैं. विशेष तौर पर नौनिहाल बच्चे मास्टर जी की इस प्रयास की तारीफ करते नहीं थकते.
कोरोना काल में आया विचार
शिक्षक दिनेश मिश्रा (teacher dinesh mishra) ने बताया कि उन्हें ये खयाल कोरोना काल में आया की गांव की दीवारों के जरिए बच्चों को शिक्षित किया जाए. दरअसल उन्होंने पाया कि मोहल्ला क्लास में सभी बच्चे नहीं पहुंच पाते थे. क्यों की मजदूरी के लिए गए परिजन उन्हें भी अपने साथ ले जाते थे. ऐसे में दिनेश मिश्रा ने विचार किया की गांव की दीवारों से अगर बच्चों को ज्ञान दिया जाए तो इस भीषण संकट काल में उन्हें न तो खतरा उठाना पड़ेगा और न ही उनके परिजनों का परेशान होना पड़ेगा.
अब भी जारी है मिशन
कोरोना काल में शुरू हुआ शिक्षक दिनेश मिश्रा का काम अभी भी जारी है. वो लगातार गांव की दीवारों में ज्ञान की बातें लिखवाते रहते हैं. दिनेश मिश्रा की सराहना पूरे जबलपुर में हो रही है और हर कोई कह रहा है कि ऐसे ही शिक्षक की जरूरत हर स्कूल में है. लोगों का मानना है कि इस तरह के शिक्षक पूरे देश के विद्यालय में हो जाए तो सरकारी विद्यालयों का कायाकल्प हो जाएगा.
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