डेस्क: बांग्लादेश में तख्तापलट हो गया. वहां की प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देकर भारत में शरण लेनी पड़ी, लेकिन क्या आपको पता है कि शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश में जो आंदोलन शुरू हुआ, वह कहां से शुरू हुआ और इसके पीछे कौन था, तो आपको बता दें कि बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ जो आंदोलन शुरू हुआ, वह ढाका यूनिवर्सिटी से शुरू हुआ. सबसे पहले यहीं के स्टूडेंट्स ने आंदोलन की शुरुआत की. हालांकि बाद में इस आंदोलन ने दूसरा रूप ले लिया. देखते ही देखते स्टूडेंट्स का आंदोलन कब हिंसा में बदल गया पता ही नहीं चला.
बांग्लादेश की ढाका यूनिवर्सिटी आंदोलन के लिए जानी जाती है. यहां इससे पहले भी कई आंदोलन हो चुके हैं. इसके अलावा इन आंदोलनों से यहां के कई नेता भी निकले. इस बार भी सरकारी नौकरियों में आरक्षण के विरोध में आंदोलन के शुरुआत यहीं से हुई. ढाका यूनिवर्सिटी की नाहिद इस्लाम समेत कई छात्र इसके सूत्रधार की भूमिका में रहे और उन्होंने ऐसा आंदोलन छेड़ा कि यहां की पीएम शेख हसीना को देश तक छोड़कर भागना पड़ा.
बांग्लादेश की ढाका यूनिवर्सिटी इतिहास काफी पुराना है. बात वर्ष 1912 की है. जब बांग्लादेश पूर्व बंगाल का हिस्सा हुआ करता था, तब यह भी संयुक्त भारत का हिस्सा था. ढाका यूनिवर्सिटी पर दी गई जानकारी के मुताबिक वर्ष 1912 में 31 जनवरी को नवाब सलीमुल्लाह, नवाब सैयद नवाब अली चौधरी और शेर-ए-बंगाल ए.के. फजलुल हक की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल ने वायसराय लॉर्ड हार्डिंग से ढाका (तत्कालीन ढाका) में मुलाकात की. इसी दरम्यान क्षेत्र में एक विश्वविद्यालय की स्थापना की मांग उठाई.
वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार 2 फरवरी को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें ढाका में एक विश्वविद्यालय की स्थापना की सिफारिश को मंजूर करने की बात कही गई. 4 अप्रैल को ब्रिटिश भारत सरकार ने बंगाल सरकार को विश्वविद्यालय की रूपरेखा प्रस्तुत करने को कहा. 27 मई को बंगाल सरकार ने प्रस्तावित विश्वविद्यालय के संबंध पूरी जानकारी दी. इसकी पूरी योजना बनाने के लिए सर रॉबर्ट नाथानियल की अध्यक्षता में तेरह सदस्यों की एक समिति नियुक्त की गई जिसे नाथन समिति के नाम से जाना जाता है.
वर्ष 1920 में बंगाल की भारतीय विधान परिषद में ढाका ढाका विश्वविद्यालय अधिनियम 1920 पास किया गया. जिसके बाद इस यूनिवर्सिटी की नींव वर्ष 1921 में रखी गई. तक यह यूनिवर्सिटी भारत में हुआ करती थी क्योंकि बंगाल उस समय भारत का ही हिस्सा था. हालांकि पूर्वी बंगाल मुस्लिम बाहुल आबादी वाली थी, इसलिए अंग्रेजी हुकूमत की मंशा वहां की बहुसंख्यक आबादी को खुश करने की थी, लिहाजा इस यूनिवर्सिटी को मंजूरी दे दी गई. लॉर्ड कर्जन ने ढाका यूनिवर्सिटी के लिए सहमति दी थी.
वर्तमान में ढाका यूनिवर्सिटी में लगभग 13 संकाय, 83 विभागों संचालित होते हैं. इसके अलावा यूनिवर्सिटी के 13 संस्थान हैं और 20 आवासीय हॉल भी है. यूनिवर्सिटी के स्टूडेंस के रहने के लिए छात्रावास आदि की व्यवस्थाएं हैं. यूनिवर्सिटी में 56 से अधिक अनुसंधान केंद्र भी हैं. यूनिवर्सिटी में हर साल हजारों की संख्या में छात्र दाखिला लेते हैं. यहां पर दो हजार से अधिक टीचर्स हैं.
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