अनूपपुर: हमारा भारत (India) देश आज दुनिया के शीर्ष देशों के बराबर में खड़ा है और कई क्षेत्रों में दुनिया के सभी देशों से आगे हैं. लेकिन देश में कई ऐसी जगहें भी हैं, जहां बिजली, सड़क और पानी (electricity, roads and water) के लिए वर्षों से इंतजार (waiting for years) कर रहे हैं. इन लोगों के पास इंतजार के सिवा कुछ भी नहीं है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के अनूपपुर जिले (Anuppur district) की, जहां आदिवासी समुदाय (tribal community) सरकार और प्रशासन (Government and Administration) की तरफ बेचारगी की नजर से देख रहे हैं.
जिले के अंतर्गत आने वाली जिले की सबसे बड़ी नगर पालिका में रहने वाले आदिवासी आज भी बिजली, सड़क और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहने को मजबूर हैं. पसान नगर पालिक के वार्ड नम्बर आठ के ढिहाई टोला काली मंदिर के पीछे चार से पांच घरों का परिवार कई वर्षों से बिना रोड, लाइट और पानी के बगैर आज भी अपने परिवार के साथ जीवन गुजर बसर करने को मजबूर हैं. आजादी के 75 साल हो चुके हैं. लेकिन परिषद ने कभी इन आदिवासियों के मूलभूत सुविधाओं के बारे में विचार ही नहीं किया.
पसान नगर पालिका से महज 1 से 2 किलोमीटर दूर बसे आदिवासी बाबूलाल ने बताया, ‘इस जगह पर हम कई वर्षों से अपने परिवार के साथ रहते हैं. हमारे गांव में ना तो लाइट और ना ही पानी की कोई व्यवस्था है. यह गांव पसान नगर पालिका के अंतर्गत आता है. पानी के लिए चार से पांच दिन में नगर पालिका का टैंकर के माध्यम से पानी दिया जाता है. गौरतलब है कि नगर पालिका पसान के कुछ ही दूरी पर यह आदिवासी परिवार कई वर्षों से रह रहा है. परंतु आज तक नगर पालिका ने कभी उनकी मूलभूत सुविधाओं पर विचार नहीं किया, जो इस कहावत को चरितार्थ करते दिखता है दिया तले अंधेरा और यह कहावत नगर पालिका परिषद पसान मे एक दम सटीक बैठ रहा है.
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