मोदीजी का नारा… मोदीजी की गारंटी… मोदीजी को वोट… नेता भी मोदी… प्रत्याशी भी मोदी… मोदी ही सरकार… मोदी ही पतवार…चारों ओर मोदी ही मोदी… खत्म हो गए सारे विरोधी…जनता भी मान रही है…प्रत्याशी भी मान रहा है…कार्यकर्ता भी उसी राह पर जा रहा है…हर कोई मोदीजी के सुर से सुर मिला रहा है….अबकी बार चार सौ पार का नारा लगा रहा है…मतदाता भी दिमाग लगा रहा है कि कौन वोट देने जाए…प्रत्याशी भी सीना फुला रहा है कौन वोट मांगने जाए…कार्यकर्ता भी इठला रहा है कौन मतदाताओं को सर पर बिठाए…उनके नखरे उठाए… उन्हें घर से निकालकर बूथ पर लाए…मेहनत करेंगे भी तो जीत मोदी की मानी जाएगी…कार्यकर्ता हो या नेता किसी की मेहनत नहीं समझी जाएगी…मोदीजी ने जनता से ज्यादा अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं में इतना अतिआत्मविश्वास भर दिया है कि न प्रत्याशी चुनाव लड़ रहा है और न कार्यकर्ता घर से निकल रहा है…पूरे देश में चुनाव का माहौल ही नहीं दिख रहा है…इसीलिए वोटों का प्रतिशत जमीन पर गिर रहा है…विपक्षियों को लोग हारा हुआ मान रहे हैं और मोदी जीत की हुंकार लगा रहे हैं… इसीलिए मतदाता भी घर से नहीं निकल रहा है…यह मानकर चल रहा है कि उसका एक वोट न सरकार बनाएगा न सरकार गिरा पाएगा…इसीलिए वो अपने वोट की ताकत क्यों आजमाए…मतदान केंद्र भी जाने की जहमत क्यों उठाए…मैच में तब ही मजा आता है, जब मुकाबला बराबरी पर माना जाता है, लेकिन जब एक टीम के सारे खिलाड़ी चोटिल कर दिए जाएं…जेल में ठूंस दिए जाएं… डरा-धमकाकर घर बिठा दिए जाएं… आईपीएल की तरह खरीदकर अपनी टीम में शामिल कर लिए जाएं तो मैच तो घर में ही हुआ माना जाएगा… फिर मैदान में जाकर दर्शक करेंगे क्या…एक टीम को जीतते हुए देखना और दूसरी टीम की तरफ किसी बॉलर तक का नहीं होना किसे गवारा होगा…कुछ ऐसा ही हाल चुनावी मैदान का है…प्रत्याशी चवन्नी खर्च करना नहीं चाहते…कार्यकर्ता प्रत्याशी के तेवर देखकर काम करना नहीं चाहते…वो इस बात को मानते हैं कि भाजपा अब दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है…मोदीजी ब्रह्मा भी हैं और ब्रह्मास्त्र भी हैं…राजनीतिक सृष्टि के निर्माण के लिए वे प्रत्याशी को जन्म देते हैं…स्वयं उसका भाग्य लिखते हैं और उस पर नियंत्रण भी वे ही करते हैं…ब्रह्मास्त्र छोडक़र विरोधियों को मिटाने की ताकत भी रखते हैं…समुद्र-मंथन भी वे ही करते हैं और अमृतपान भी वे अपने हिस्से में रखते हैं…इसीलिए अजर-अमर मोदीजी किसी वोट के मोहताज नहीं हैं… उनके सर पर ताज है… ताज था और ताज रहेगा….वोट पड़े या न पड़े…विरोधी लड़े या न लड़े… इस बार चार सौ पार… कम मतदान पर सर मत खुजाओ यार…
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