Haryana Assembly Election: चुनाव आयोग ने हरियाणा में चुनावों का ऐलान कर दिया है। 1 अक्टूबर को प्रदेश में वोटिंग होनी है। 4 अक्टूबर को परिणाम आएंगे। लेकिन हरियाणा के चुनावी रण में इस बार 3 बड़े नेता नजर नहीं आएंगे। एक समय में ये नेता हरियाणा की राजनीतिक दिशा और दशा तय करते थे। इनमें से एक नेता तो सीएम की कुर्सी तक भी पहुंच चुके हैं। जी हां, यहां बात हो रही है किरण चौधरी, कुलदीप बिश्नोई और पूर्व सीएम मनोहर लाल की। हरियाणा में चुनावी बिगुल बजने के बाद से छोटे-बड़े सभी नेता दांव लगा रहे हैं।
सबसे पहले बात करते हैं तोशाम से चार बार विधायक बन चुकीं किरण चौधरी की। किरण चौधरी की पूर्व सीएम हुड्डा से कभी नहीं बनी। किरण चौधरी कांग्रेस को अलविदा कहकर भाजपा का दामन थाम चुकी हैं। बीजेपी ने उन्हें हरियाणा से राज्यसभा सांसद बनाया है। ऐसे में माना जा रहा है कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगी। किरण पहले हरियाणा सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। तोशाम सीट से उनके ससुर पूर्व सीएम बंसीलाल, पति सुरेंद्र सिंह भी विधायक बन चुके हैं। बंसीलाल को गांधी परिवार का करीबी माना जाता था। उनकी बेटी श्रुति चौधरी भिवानी से सांसद रह चुकी हैं। माना जा रहा है कि वे ही तोशाम से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ेंगी।
दूसरे नेता हैं मनोहर लाल। जो नवंबर 2014 से फरवरी 2024 के बीच हरियाणा के सीएम रहे हैं। राजनीति का ये बड़ा चेहरा इस बार चुनावी रण में नजर नहीं आएगा। दरअसल इस आम चुनाव में खट्टर को बीजेपी ने करनाल सीट पर मैदान में उतारा था। जीतने के बाद वे केंद्र में मंत्री बन चुके हैं। फिलहाल वे दिल्ली की राजनीति में अधिक सक्रिय हैं। उनके दोबारा प्रदेश की राजनीति में लौटने की संभावनाएं अधिक नहीं हैं। खट्टर की करनाल विधानसभा सीट से सीएम नायब सैनी विधायक बने हैं। मनोहर को हटाने की वजह एंटी इनकंबेंसी बताया जा रहा है।
तीसरे नेता हैं कुलदीप बिश्नोई। कुलदीप खुद आदमपुर सीट से चार बार विधायक रह चुके हैं। 2022 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामा था। जिसके बाद उनके बेटे भव्य ने आदमपुर से चुनाव लड़ा और विधायक बन गए। आदमपुर सीट से उनके पिता भजनलाल चुनाव लड़ते रहे हैं। जो हरियाणा के सीएम रह चुके हैं। कुलदीप की पत्नी रेणुका बिश्नोई भी आदमपुर सीट से विधायक बन चुकी हैं। यानी भजनलाल परिवार के 4 सदस्य आदमपुर से विधायक रहे हैं। एक समय कुलदीप को हरियाणा के मुख्यमंत्री के दावेदारों में माना जाता था। लेकिन आज उनकी भूमिका सिमट चुकी है।
उपरोक्त 3 नेताओं के अलावा पूर्व गृह मंत्री अनिल विज, सांसद कुमारी सैलजा और ज्ञानचंद गुप्ता ऐसे नेता हैं, जिनके चुनाव लड़ने पर भी सस्पेंस है। सैलजा ने तो हाईकमान के सामने विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। लेकिन कांग्रेस हाईकमान शायद ही इसकी अनुमति दे। क्योंकि कांग्रेस के पास पहले ही सांसद कम हैं। सैलजा विधायक बन जाती हैं तो उनको सांसद का पद छोड़ना पड़ेगा। कांग्रेस ऐसा नहीं चाहेगी। ज्ञानचंद गुप्ता 76 साल के हो चुके हैं। बीजेपी के 75 साल वाला फॉर्मूला उनके आड़े आ सकता है। विज 6 बार अंबाला कैंट से जीत चुके हैं। नायब सैनी के सीएम बनने के बाद से वे नाराज हैं।
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