नई दिल्ली । केंद्र सरकार (central government) ने 4 मिड साइज बैंकों को प्राइवेटाइजेशन (Bank Privatisation) के लिए शॉर्टलिस्ट किया है। मीडिया में आई रिपोर्ट के अनुसार, जिन 4 सरकारी बैंकों को शॉर्टलिस्ट किया गया है, उनमें बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank of Maharashtra), बैंक ऑफ इंडिया (BoI), इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank) का नाम शामिल है। 4 बैंकों में से 2 का निजीकरण नए शुरू होने वाले वित्त वर्ष 2021-22 में होगा। सरकार बैंकिंग सेक्टर में निजीकरण के पहले चरण के तहत मिड साइज और छोटे बैंकों में हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रही है। आने वाले सालों में सरकार देश के बड़े बैंकों पर भी दांव लगा सकती है।
रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि मोदी सरकार की बैंकिंग सेक्टर में प्राइवेटाइजेशन की प्रमुख वजह है कि देश का बैंकिंग सेक्टर का एनपीए (NPA) के भारी बोझ से जूझना । महामारी के दौरान बैड लोन (Bad loan) बनकर उभरे लोन्स (Loans) को अगर बैंकों को कैटेगराइज (Categorize) करने की अनुमति मिलती है तो NPA के आंकड़ों में और इजाफा जाएगा । कई सरकारी बैंक (Government bank) वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं। सरकार अच्छा परफॉर्म न कर पा रहे सरकारी बैंकों में हिस्सेदारी बेचकर राजस्व को बढ़ाना चाहती है ताकि उस पैसे का इस्तेमाल सरकारी योजनाओं (Government Schemes) पर हो सके। अभी देश में सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंक हैं।
मुंबई हेडक्वार्टर वाले बैंक ऑफ इंडिया (Bank Of India) की स्थापना 1906 में हुई थी। 1969 में सरकार के स्वामित्व में आया। इसकी पूरे भारत में 5,000 से ज्यादा ब्रांच हैं। भारत के अलावा बैंक 18 अन्य देशों में भी मौजूदगी रखता है। बैंक यूनियन्स के एक अनुमान के मुताबिक, बैंक ऑफ इंडिया में लगभग 50,000 कर्मचारी हैं। दिसंबर 2019 तक बैंक के 9.48 करोड़ से ज्यादा ग्राहक थे। वित्त वर्ष 2020-21 की दिसंबर तिमाही में बैंक ऑफ इंडिया के नेट प्रॉफिट (Net Profit) में 5 गुना इजाफा हुआ और यह बढ़कर 541 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank Of Maharashtra) के 3 फरवरी 2021 तक 1.5 करोड़ ग्राहक थे। बैंक की पूरे भारत में 1,874 ब्रांच हैं। बैंक औपचारिक तौर पर सितंबर 1935 में रजिस्टर्ड हुआ। 1969 में 13 अन्य बैंकों के साथ इसे भी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में शामिल किया गया। बैंक का हेडक्वार्टर पुणे (Pune) में है। वित्त वर्ष 2021 की दिसंबर तिमाही में बैंक ऑफ महाराष्ट्र का मुनाफा 13.9% बढ़कर 154 करोड़ रुपये हो गया।
इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank) का हेडक्वार्टर चेन्नई (Chennai) में है। बैंक की स्थापना 1937 में हुई थी। इंडियन ओवरसीज बैंक का भी राष्ट्रीयकरण 1969 में हुआ। दिसंबर 2020 तक बैंक की पूरे भारत में 3219 शाखाएं थीं। बैंक की 6 विदेशी फॉरेन ब्रांच और रिप्रेजेंटेटिव ऑफिस हैं। इंडियन ओवरसीज बैंक को अक्टूबर-दिसंबर 2020 तिमाही में 6,075 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ।
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) की स्थापना 1911 में हुई। यह भारत का पहला कमर्शियल बैंक था, जो पूरी तरह से भारतीयों के स्वामित्व वाला और भारतीयों द्वारा प्रबंधित था। बैंक का हेडक्वार्टर महाराष्ट्र में है और इसकी पूरे देश में 4,659 ब्रांच हैं। यह भी 1969 में सरकारी बैंकों में शामिल हुआ। वित्त वर्ष 2021 की दिसंबर तिमाही में बैंक का शुद्ध मुनाफा 6.45 फीसदी बढ़कर 165 करोड़ रुपये हो गया।
उल्लेखनीय है कि हजारों कर्मचारियों की मौजूदगी वाले बैंकिग सेक्टर में निजीकरण राजनीतिक तौर पर एक जोखिम भरा काम है क्योंकि इससे नौकरियों पर संकट आ सकता है। बैंक यूनियन्स के एक अनुमान के मुताबिक, बैंक ऑफ इंडिया में लगभग 50,000 कर्मचारी हैं। वहीं सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में में 33,000, बैंक ऑफ महाराष्ट्र में लगभग 13,000 और इंडियन ओवरसीज बैंक में 26,000 कर्मचारी हैं।
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