उज्जैन। कार्तिक मेले में अब गिनती के दिन ही बचे हैं। इस सोमवार से ही मेले में भीड़ उमडऩे लगी है। मेले में व्यवसायियों को महंगी बिजली और महंगी दुकानें मिली है। मेले का समय भी कम मिल पाया। इसका असर यहाँ के महंगे हो चले मनोरंजन के साधनों पर साफ दिखाई देने लगा है। उल्लेखनीय है कि शिप्रा तट पर हर साल कार्तिक माह में लगने वाले परंपरागत कार्तिक मेले का शुभारंभ इस बार 19 नवम्बर को हो गया था। इसके दो दिन पहले तक कोरोना गाईड लाईन के कारण यह स्थिति स्पष्ट नहीं थी कि मेला लगेगा या नहीं। इसी असमंजस्य के चलते नगर निगम ने भी मेले की तैयारियाँ समय रहते शुरु नहीं की थी और मेले के व्यापारी प्रदेश में अन्य स्थानों पर आयोजित हो रहे मेलों का हवाला देते हुए नगर निगम तथा जिला प्रशासन से उज्जैन में भी कार्तिक मेला लगाए जाने तथा वहाँ दुकानें लगाने की अनुमति की मांग करने लगे थे। हालांकि 19 नवम्बर को उद्घाटन के बाद यह तय हो गया था कि मेला लगेगा और सरकार ने कोरोना गाईड लाईन को भी शिथिल कर दिया था।
इधर उद्घाटन के 15 दिन बाद तक कार्तिक मेले में झूला क्षेत्र और दुकानों के लेआउट तक नहीं डल पाए थे। यही कारण रहा कि इस बार मेले में खाने-पीने की दुकानें ठीक से लग ही नहीं पाई। मीना बाजार में भी पिछले मेलों की तरह कोई खास रौनक नजर नहीं आ रही है। झूला व्यवसायियों ने मजबूरी में इस बार जगह नहीं मिलने पर दो स्थानों पर झूले लगाए हैं। ठेकेदार ने भी झूला व्यवसायियों को 25 रुपए यूनिट के हिसाब से बिजली कनेक्शन दिए हैं। इसके अलावा कार्तिक मेले की दुकानों का आवंटन भी पिछले साल के मुकाबले इस बार महंगी दरों पर दिया गया है। मेला समापन में भी अब गिनती के दिन बाकी रह गए हैं। हालांकि सोमवार से मेले में भीड़ बढऩे लगी और रंगत दिखाई देने लगी है लेकिन यहाँ झूले और अन्य मनोरंजन के संसाधन का टिकट पिछली बार के मुकाबले महंगे कर दिए गए हैं। लोगों का कहना है कि पिछली बार उन्होंने बड़ा झूला 20 रुपए तथा बच्चों के झूले 10 रुपए चुकाए थे परंतु इस बार बड़े झूले का टिकट 40 रुपए और बच्चों के झूले का टिकट 20 रुपए कर दिया गया है। इसके अलावा अन्य मनोरंजन के साधन भी महंगे कर दिए गए हैं।
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