नई दिल्ली: इस बार मॉनसून (Monsoon) समय पर आया. अच्छी बारिश भी हुई. लेकिन अब ये जाने का नाम नहीं ले रहा है. मौसम विभाग (Meteorological Department) के वैज्ञानिकों के अनुसार लो प्रेशर सिस्टम (Low Pressure System) बनने की वजह से इस बार मॉनसून का विड्रॉल यानी उसकी विदाई लेट होगी. ये सितंबर अंत तक या उसके आगे भी जा सकती है. ऐसे में गर्मियों में लगाई गई फसलों को नुकसान हो सकता है.
चावल, कपास, सोयाबीन, मक्का और दालों को सितंबर के मध्य में काटा जाता है. बारिश होती रही तो कटाई मुश्किल होगी. लेकिन अगली फसल जो सर्दियों में बोई जाती है, उसे फायदा हो जाएगा क्योंकि जमीन में नमी बनी रहेगी. जैसे गेहूं, रेपसीड, चना आदि. मौसम विभाग के सीनियर साइंटिस्ट ने यह जानकारी समाचार एजेंसी रॉयटर्स को दी.
सितंबर के तीसरे हफ्ते में लो प्रेशर सिस्टम बनता दिख रहा है. जिसकी वजह से मॉनसून की विदाई देरी से होगी. भारत गेहूं, चीनी और चावल का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है. इस मौसम की वजह से खेती से जुड़े कमोडिटी के एक्सपोर्ट पर दिक्कत आएगी. मॉनसून जून में शुरू होता है. 17 सितंबर तक खत्म हो जाता है. लेकिन इस बार ये अक्तूबर के मिड तक खत्म होता दिख रहा है.
भारत में मॉनसून सालाना पानी की जरूरत का 70 फीसदी हिस्सा लेकर आता है. इससे खेती बेहतर होती है. जलाशय भरते हैं. आधे से ज्यादा किसानी मॉनसून पर निर्भर रहती है. ये हो सकता है कि सितंबर और अक्तूबर की बारिश ला-नीना वेदर सिस्टम की वजह से हो. इससे मॉनसून के जाने में देरी होगी. पूरे देश में जून के पहले हफ्ते में सात फीसदी ज्यादा बारिश हुई. कुछ राज्यों में औसत से 66 फीसदी ज्यादा. जिससे बाढ़ जैसी नौबत आई. अब अगर सितंबर के तीसरे औऱ चौथे हफ्ते में बारिश होती है, तो इसका असर गर्मियों में लगाई गई फसल पर पड़ेगा. इससे खाद्य सामग्री की महंगाई बढ़ने का आसार है.
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