भोपाल। प्रदेश में करीब 13 साल बाद एक बार फिर 5वीं और 8वीं के एग्जाम बोर्ड पैटर्न पर होंगे। मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल (एमपी बोर्ड) ने वर्ष 2008 में दोनों ही क्लास से बोर्ड पैटर्न हटा दिया गया था। इस बार प्राइवेट और सरकारी स्कूलों के 5वीं में करीब 15 लाख और 8वीं में 14 लाख छात्र-छात्राएं शामिल होंगे। यानी जिलास्तर पर पेपर तैयार होगा। एग्जाम के बाद उत्तर पुस्तिकाएं दूसरे स्कूल में चेक होने के लिए जाएंगी। अब फिर से रिजल्ट भी निकलेगा और बच्चे फेल भी होंगे। उन्होंने पास होने का दो बार मौका भी मिलेगा। प्रत्येक अकादमिक वर्ष के अंत में दोनों क्लासेज की वार्षिक परीक्षाएं होंगी। इसका प्रावधान मध्यप्रदेश राजपत्र में 2 मार्च 2019 में पब्लिश शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के संशोधन के प्रकाशित है। परीक्षा में फेल होने वाले छात्रों को दोबारा पेपर देने का मौका दिया जाएगा। इसमें भी फेल होने वाले छात्रों को उसी कक्षा में रोके जाने का (डिटेंशन पॉलिसी) प्रावधान है। प्रति छात्र देय शुल्क का भुगतान स्कूल करेगा। यहां स्पष्ट करना जरूरी है कि परीक्षा के नाम से छात्रों से अलग से शुल्क स्कूल नहीं वसूलेगा।
इसी सत्र से लागू होगा नियम
सत्र 2021-22 में मध्यप्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में 5वीं व 8वीं के लिए वार्षिक परीक्षा बोर्ड पैटर्न पर आयोजित की गई थीं। प्रदेश के स्कूलों में सत्र 2022-23 में यानी इसी साल से सरकारी स्कूलों के साथ-साथ मान्यता प्राप्त निजी और अनुदान प्राप्त स्कूलों में एनसीईआरटी द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम के आधार पर 5वीं व 8वीं के लिए बोर्ड पैटर्न पर वार्षिक परीक्षा होंगी।
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