उज्जैन। इस बार कचरे से कमाई बढ़ाने में नगर निगम लगी हुई है और इसके साथ ही यह भी प्रयास है कि 10 लाख से अधिक की आबादी वाले शहरों में उज्जैन को पहला स्थान प्राप्त हो। इसके लिए आयुक्त रोशनसिंह विशेष प्रयास कर रहे हैं एवं वार्डों में शिविर भी लगाए जा रहे हैं तथा रैली भी निकाली जा रही है। नगर निगम का प्रयास है कि उज्जैन में इंदौर की तर्ज पर काम हो और कचरे से जो आय हो रही है उसका आंकड़ा दो से बढ़ाकर चार करोड़ किया जाए।
नगर निगम की असली चुनौती का वक्त अब आ गया और इस बार नम्बर वन का खिताब हासिल करने के लिए जो स्वच्छता सर्वेक्षण होने वाला है उसकी टीम दिल्ली से इसी हफ्ते पहुँच जाएगी। हालांकि बारिश में होने वाले सर्वे से निगम को दिक्कत भी है। मगर उसका मानना है कि चूंकि देशभर में ही यह सर्वे बारिश के दौरान हो रहा है तो सभी शहरों की स्थिति इस मामले में एक समान ही रहेगी और जो सर्वे टीम आ रही है उसे जो गाइडलाइन सौंपी गई उसमें इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि बारिश के मद्देनजर भी सर्वे को किया जाए। इस बार हालांकि निगम के लिए चुनौती कम नहीं है, क्योंकि बीते कुछ महीनों में उज्जैन की स्वच्छता का स्तर प्रभावित हुआ है और जगह-जगह कचरे के ढेर नजर आने लगे हैं।
इस बार नम्बर वन आने की चुनौती इसलिए भी है क्योंकि इस बार चुनी हुई परिषद् कायम है। महापौर सहित 54 वार्ड पार्षदों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है, क्योंकि हर मंच से सत्ता लगाने के दावे किए जाते रहे हैं। इस बार का स्वच्छता सर्वेक्षण विलंब से हो रहा है। हर साल मार्च-अप्रैल में सर्वे निपट जाता है। मगर इस बार मानसून सीजन में यह सर्वे हो रहा है। बारिश के कारण जल जमाव, गंदगी, कीचड़ सहित अन्य समस्याएं सामान्य दिनों की तुलना में अधिक रहती है। ऐसे में नगर निगम की दिक्कतें बढ़ भी जाती है। मगर महापौर सहित निगमायुक्त का मानना है कि चूंकि सभी शहरों में यह स्वच्छता सर्वेक्षण बारिश के इन दिनों में ही हो रहा है तो उज्जैन की तरह सभी शहरों में उससे जुड़ी समस्याएं भी समान है। वहीं दूसरी तरफ जो सर्वेक्षण टीम आ रही है उसे भी बारिश से जुड़ी समस्याओं को ध्यान में रखने की गाइडलाइन दी गई है। एक-दो दिन में स्वच्छता सर्वेक्षण की टीम पहुंच जाएगी, जिसके चलते सभी सफाई मित्रों के साथ-साथ इससे जुड़े अधिकारियों, कर्मचारियों को अतिरिक्त मेहनत भी करना पड़ेगी।
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