नई दिल्ली। भगवान श्रीकृष्ण(Shree Krishna ) के जन्मोत्सव को जन्माष्टमी (Janmashtami ) के नाम से जानते हैं। हिंदू धर्म में इस त्योहार का विशेष महत्व (special importance) है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास (Bhadrapada month) में शुक्ल पक्ष की अष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस साल जन्माष्टमी पर विशेष संयोग बन रहे हैं।
जन्माष्टमी पर बन रहे कई शुभ संयोग-
जन्माष्टमी पर वृद्धि व ध्रुव योग (Dhruva Yoga) का निर्माण हो रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, जन्माष्टमी के दिन रात 08 बजकर 42 मिनट तक वृद्धि योग रहेगा। इसके बाद ध्रुव योग शुरू होगा। ज्योतिष शास्त्र में इन योगों को बेहद शुभ माना गया है। मान्यता है कि इन योग में किए गए कार्यों में सफलता (success) हासिल होती है।
रोहिणी नक्षत्र के बिना जन्माष्टमी-
इस साल रोहिणी नक्षत्र (Rohini Nakshatra) के बिना जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा। इस साल जन्माष्टमी के दिन भरणी नक्षत्र रात 11 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। इसके बाद कृत्तिका नक्षत्र शुरू होगा।
व्रत पारण का समय-
पारण के दिन अष्टमी तिथि का समाप्ति समय – रात 10:59 बजे।
पारण समय – 05:52 ए एम, अगस्त 19 के बाद
जन्माष्टमी पर शुभ मुहूर्त (Janmashtami 2022 Shubh Muhurt)
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 05 मिनट से दोपहर 12 बजकर 56 मिनट तक
अमृत काल- शाम 06 बजकर 28 मिनट से रात 08 बजकर 10 मिनट तक
धुव्र योग- रात 08 बजकर 41 मिनट से 19 अगस्त रात 08 बजकर 59 मिनट तक
कैसे मनाएं जन्माष्टमी? (Janmashatami 2022 Pujan Vidhi And Niyam)
जन्माष्टमी पर सुबह स्नान करके व्रत या पूजा का संकल्प लें. जलाहार या फलाहार के साथ भी यह उपवास किया जा सकता है. मध्यरात्रि को भगवान कृष्ण की धातु की प्रतिमा को किसी पात्र में रखें. प्रतिमा को दूध, दही, शहद, शक्कर और अंत में घी से स्नान कराएं. इसे पंचामृत कहा जाता है. इसके बाद कान्हा को जल से स्नान कराएं. भगवान को फल और फूल अर्पित करें. अर्पित की जाने वाली चीजें शंख में डालकर ही अर्पित करें. काले या सफेद वस्त्र धारण करके पूजा ना करें.
नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के लिए हैं हम इसकी जांच का दावा नहीं करते हैं. इन्हें अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.
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