भोपाल। मानसून के काफी हद तक रवानगी के बाद अब लोगों को आने वाली ठंड की चिंता सताने लगी है। दरअसल तेज बारिश के दौर को देखते हुए लोग इस बार ठंड की तेजी की संभावना को लेकर भी चिंतित दिख रहे हैं। वहीं जानकार भी मान रहे हैं कि इस बार राजधानी भोपाल समेत मध्यप्रदेश के ज्यादातर हिस्से में लंबी सर्दी पडऩे के आसार हैं। मौसम जानकारों का मानना है कि इसका असर अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े से ही दिखना शुरू हो जाएगा। इस दौरान दिन का तापमान भले ही ज्यादा रहे, लेकिन अक्टूबर में रातें ठंडी होने लगेंगी। मिल रहे संकेतों के मुताबिक इस बार भी ठंड की अवधि 90 दिन या उससे ज्यादा की हो सकती है। वहीं ये भी बताया जा रहा है इस बार मानसून की विदाई सितंबर में ही होने क्री संभावना है। ऐसे में पोस्ट मानसून सीजन यानि बारिश के बाद के संक्रमण काल के दौरान ही रात के तापमान में गिरावट शुरू हों सकती है। भोपाल में अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर की पोस्ट मानसून सीजन में माना जाता है। जनवरी और-फरवरी को बिंटर सीजऩ में काउंट किया जाता है। सामान्यत: भोपाल में दिसंबर से ठंड बढ़ती है। इसका पीक जनवरी में होता है। राजधानी में मौसम की अवधि 65 से 80 दिन की मानी जाती है।
45 दिन 10 डिग्री के नीचे था पिछले साल पारा
2021 में साल 15 अक्टूबर से 15 फरवरी तक 120 दिनों में 93 दिन और 81 रात में ठंड पड़ी थी। इनमें से 45 दिन कड़ाके की ठंडक रही थी। इन 45 दिनों में पारा 10 डिग्री के आसपास या उससे नीचे रहा था। रिकॉर्ड तोड़ ठंड के दौरान 16 कोल्ड डे रहे और 10 बार शीतलहर भी चली थी। 31 अक्टूबर को ही शीतलहर जैसे हालात बन गए थे। 20 दिसंबर को पारा 3.4डिग्री पर पहुंच गया था। अलग-अलग मौसमी सिस्टम कैस्पियन सागर, ब्लैक सी से ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान होते हुए हमारे देश के उत्तरी हिस्से में ट्रफ लाइन, ऊपरी हवा के चक्रवात, कम दवाब का क्षेत्र के रूप में पहुंचते हैं। ये पश्चिम से पूर्व की ओर जाते हैं। इसके कारण पहाड़ों पर बारिश और बर्फबारी होती है। फिर वहां से आने बाली बर्फीली और ठंडी हवा हमारे यहां के मौसम को भी सर्द कर देती है।
मानसून की विदाई का इशारा
मौसम के जानकार एके शर्मा के अनुसार आसमान में सात रंग का बिखराव होता है। इन सात रंगों में से लाल रंग की बेबलेंथ सबसे ज्यादा होती है। इस कारण यह रंग ज्यादा फैलता है, इसीलिए सूर्यास्त के समय – आसमान में लालिमा छा जाती है। ऐसा अक्सर पोस्ट मानसून सीजन में होता है, बारिश के दिनों में ऐसा नहीं होता।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved