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इस बार हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में कम सीटों पर चुनाव लड़ सकती है भाजपा, गठबंधन का दिखेगा असर?

August 01, 2024

नई दिल्ली: लोकसभा (Lok Sabha) में भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के निराशजनक प्रदर्शन का असर विधानसभा चुनाव (assembly elections) के सीट बंटवारे पर दिख सकता है. अब तक जो सिनेरियो बन रहा है, उसके मुताबिक जिन 3 राज्यों में इस साल के अंत में चुनाव होने हैं, वहां 2019 के मुकाबले बीजेपी कम सीटों पर लड़ सकती है. 2019 में बीजेपी महाराष्ट्र में 152, झारखंड में 79 और हरियाणा में 90 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. कहा जा रहा है कि इस बार बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान महाराष्ट्र और झारखंड में हो सकता है. इसकी वजह दोनों ही राज्यों में गठबंधन का दायरा है. हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी ने 2019 के चुनाव में सभी 90 सीटों पर अकेले दम पर उतरी थी, लेकिन इस बार का समीकरण बदला-बदला सा है. राज्य में बीजेपी ने इस बार गोपाल कांडा की पार्टी के साथ गठबंधन किया है. बुधवार को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी (Chief Minister Naib Singh Saini) ने इस गठबंधन की घोषणा की.

हरियाणा चुनाव में कांडा की डिमांड 15 सीटों पर लड़ने की है, लेकिन कहा जा रहा है कि बीजेपी उसे 5 सीटें दे सकती है. गोपाल कांडा वर्तमान में सिरसा विधानसभा सीट से विधायक हैं और उनकी पार्टी सिरसा और उसके आसपास के जिलों में चुनाव लड़ेगी. कांडा से गठबंधन करने की बड़ी वजह 2024 का चुनाव परिणाम है. बीजेपी सिरसा में बुरी तरह हार गई है. कांडा की वजह से इस बार बीजेपी 85 सीटों पर ही चुनाव लड़ पाएगी. राज्य में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए 46 विधायकों की जरूरत होती है. 2019 में भारतीय जनता पार्टी झारखंड की 79 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. पार्टी ने 2 सीटों पर अपने सहयोगियों का समर्थन किया था, लेकिन इस बार झारखंड का परिदृश्य भी अलग है. झारखंड में बीजेपी आजसू और जेडीयू के साथ गठंबधन कर चुनाव लड़ सकती है. आजसू के साथ तो गठबंधन फाइनल भी हो गया है.


2019 में आजसू ने 53 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से पार्टी को 2 सीटों पर जीत मिली थी जबकि 9 सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे थे. 2014 में आजसू को 8 सीटों पर जीत मिली थी. आजसू इस बार कम से कम 15 सीटों पर दावा कर रही है. दूसरी तरफ नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू भी झारखंड में चुनाव लड़ने की तैयारी में है. जेडीयू केंद्र की सरकार में किंगमेकर की भूमिका में है. ऐसे में कहा जा रहा है कि बीजेपी के लिए जेडीयू को नकार पाना आसान नहीं है. जेडीयू कम से कम 5 सीटों पर झारखंड में चुनाव लड़ना चाहती है. अगर इन दोनों की डिमांड को बीजेपी पूरा करती है तो उसे पिछली बार की तुलना में इस बार 20 कम सीटों पर चुनाव लड़ने को मिलेगी.

2019 में महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ गठबंधन कर बीजेपी चुनाव लड़ी थी. पार्टी को गठबंधन के तहत 152 सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिला था, लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद यहां भी स्थिति पूरी तरह बदली हुई है. महाराष्ट्र में बीजेपी इस बार एनसीपी (अजित) और शिवसेना (शिंदे) के साथ गठबंधन में है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 9, शिंदे की शिवसेना को 7 और अजित पवार को 1 सीटों पर जीत मिली है.

विधानसभा चुनाव में शिंदे 100 और अजित पवार कम से कम 80 सीटों पर दावा कर रहे हैं. इन दलों के अलावा रामदास अठावले की आरपीआई भी 10-12 सीटों पर लड़ना चाहती है. हालांकि, सीट बंटवारे पर अभी बात फाइनल नहीं हुई है, लेकिन जो परिदृश्य बन रहे हैं, उसमें इस बात की संभावनाएं कम ही है कि बीजेपी 152 सीटों पर इस बार भी चुनाव लड़े.

हरियाणा में बीजेपी अभी निर्दलीय और छोटी पार्टियों के सहारे सरकार में है. यहां पार्टी के सामने लगातार तीसरी बार सत्ता में आने की चुनौती है. महाराष्ट्र में भी बीजेपी गठबंधन के सहारे सरकार में है. वर्तमान में बड़ी पार्टी होने के बावजूद मुख्यमंत्री की कुर्सी बीजेपी के पास नहीं है. पार्टी की कोशिश सरकार में आने के साथ-साथ सीएम की कुर्सी हासिल करने की होगी. झारखंड में अभी बीजेपी विपक्ष में है. यहां पर पार्टी सत्ता में आने की लड़ाई लड़ रही है.

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