नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) आज अपना चौथा बजट भाषण (Budget Speech) देंगी। इस साल का केंद्रीय बजट (Union Budget 2022 ) ऐसे समय में पेश किया जा रहा है, जब देश कोरोना वायरस महामारी की तीसरी लहर से जूझ रहा है। बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू हो चुका है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद के दोनों सदनों को संबोधित करते हुए केंद्र सरकार द्वारा किए गए कार्यों का जिक्र किया। पिछले साल की तरह इस साल भी केंद्रीय बजट पेपरलेस पेश किया जाएगा।
बजट 2022-2023 कब पेश किया जाएगा?
केंद्रीय बजट 1 फरवरी को सुबह 11 बजे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया जाएगा। सुबह 11 बजे ही वित्त मंत्री सीतारमण का बजट भाषण शुरू होगा. बजट सत्र का पहला भाग 31 जनवरी से 11 फरवरी के बीच होगा. फिर, सत्र के दूसरे भाग के शुरू होने तक लगभग एक महीने का अवकाश होगा. इसके बाद बजट सत्र का दूसरा भाग 14 मार्च को शुरू होगा, जोकि 8 अप्रैल तक चलेगा।
बजट सत्र का संचालन कैसे होगा?
संसद के दोनों सदन दिन के अलग-अलग समय पर चलेंगे. कोरोना महामारी की वजह से 2 फरवरी से 11 फरवरी के बीच लोकसभा सत्र की कार्यवाही शाम चार बजे से रात नौ बजे तक चलेगी, जबकि राज्यसभा सत्र की कार्यवाही रोजाना सुबह 10 बजे शुरू होगी और दोपहर तीन बजे तक चलेगी. कोरोना महामारी के चलते विभिन्न तरह के कोविड-19 प्रोटोकॉल्स का भी पालन किया जाएगा।
कितने देर का होगा बजट भाषण?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपने लंबे बजट भाषण के लिए भी जानी जाती हैं. साल 2019 में उन्होंने 2 घंटे 15 मिनट का सबसे लंबा भाषण दिया. इसके बाद, साल 2020 में उन्होंने 162 मिनट तक भाषण देकर अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया. ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट भाषण काफी देर तक चलने वाला है।
संसद में पेश की गई आर्थिक समीक्षा
बजट से एक दिन पहले आज संसद में आर्थिक समीक्षा पेश की गई। समीक्षा में चालू वित्त वर्ष के लिए ग्रोथ रेट 9.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया। अगले वित्त वर्ष के बारे में कहा गया कि अर्थव्यवस्था के बढ़ने की दर कुछ कम होकर 8 से 8.5 फीसदी के बीच रह सकती है. समीक्षा में कहा गया कि महामारी से आने वाले समय में अर्थव्यवस्था पर कोई नकारात्मक असर नहीं होगा, यह मानते हुए ग्रोथ रेट का अनुमान लगाया गया है. बड़े पैमाने पर वैक्सीन की कवरेज, सप्लाई से जुड़े रिफॉर्म्स से हुए फायदे, नियमों में ढील दिए जाने, एक्सपोर्ट में ठोस वृद्धि और पूंजीगत खर्च बढ़ाने की सहूलियत से ग्रोथ को मजबूती मिलेगी।
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