– पंचांगों में दो तिथि…गोपाल व बांकेबिहारी मंदिर में एक दिन पहले, पूरा शहर दूसरे दिन मनाएगा
इंदौर। जन्माष्टमी का त्योहार भाद्रपद महीने की अष्टमी तिथि को मनाए जाने की परम्परा है लेकिन इस साल भी जन्माष्टमी की तारीख को लेकर दो मत हैं। पंचांगों में 11 और 12 अगस्त को जन्माष्टमी बताई गई है। वहीं ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, 12 अगस्त को जन्माष्टमी मानना श्रेष्ठ है।
वैसे इस बार कोरोनावायरस महामारी के चलते प्रशासन शहर के मंदिरों को खोलने के संबंध में अब तक कोई निर्णय नहीं ले पाया है शहर में जन्माष्टमी के अवसर पर सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं हो सकेंगे मथुरा और द्वारिका में 12 अगस्त को जन्मोत्सव मनाया जाएगा। जबकि जगन्नाथ पुरी, काशी और उज्जैन तीर्थ में 11 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी पुराणों के अनुसार, जन्माष्टमी का त्योहार भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाता है। कई बार ग्रहों की चाल के चलते यह तिथि और रोहिणी नक्षत्र एक नहीं हो पाते हैं वैष्णवों के मतानुसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी अगले दिन मनाई जाएगी। ध्यान रहे कि वैष्णव और स्मार्त सम्प्रदाय मत को मानने वाले लोग इस त्यौहार को अलग-अलग नियमों से मनाते हैं। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार स्मार्त मत एक दिन पहले जन्माष्टमी मनाता है।
यह रहेगा पूजा का शुभ समय
जन्माष्टमी के दिन कृतिका नक्षत्र रहेगा। इसके अलावा इस दिन चंद्रमा मेष राशि में और सूर्य कर्क राशि में रहेगा। जिसके कारण वृद्धि योग भी होगा। 12 अगस्त को पूजा का शुभ समय रात 12 बजकर 5 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक है। पूजा की अवधि 43 मिनट तक रहेगी।
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