नई दिल्ली. अपने तीसरे कार्यकाल के शपथ ग्रहण समारोह में सात अहम देशों के शासनाध्यक्षों (Heads of Government) को विशेष मेहमान (Special Guests) के तौर पर आमंत्रित कर पीएम (PM) का पद ग्रहण करने से पहले ही नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कूटनीतिक मोर्चे पर दुनिया (world) को बड़ा संदेश (message) दिया है। संदेश यह है कि नई सरकार पहले की तरह विदेशी मोर्चे (Foreign fronts) पर पड़ोसी पहले (Neighbourhood First) की नीति जारी रखने के साथ इस बार नई समुद्र नीति अपनाएगी। शपथ ग्रहण समारोह में श्रीलंका, मालदीव, बांग्लादेश, मॉरीशस, सेशल्स, नेपाल और भूटान को बुलाया गया था। इनमें से पांच हिंद महासागर क्षेत्र के देश हैं, तो नेपाल और भूटान अहम पड़ोसी।
पीएम मोदी हर कार्यकाल के शपथ ग्रहण समारोह के जरिये कूटनीतिक संदेश देते रहे हैं। पहले कार्यकाल में पड़ोसी पहले की नीति पर आगे बढ़ने का संदेश देने के लिए सार्क देशों को आमंत्रित किया था। दूसरे कार्यकाल में पाकिस्तान, चीन के इतर सभी पड़ोसी देशों के अतिरिक्त थाईलैंड और किर्गिस्तान को आमंत्रित किया था। इस बार जिन देशों को आमंत्रित किया गया था, उसके बेहद खास कूटनीतिक निहितार्थ हैं।
नेपाल : द्विपक्षीय संबंधों में तल्खी में आई कमी
सदियों पुराने सांस्कृतिक-राजनीतिक संबंध के बावजूद कई मुद्दों पर भारत और नेपाल के संबंधों में उतार-चढ़ाव आता रहा है। एक राजनीतिक धड़े की चीन से करीबी भी इसका कारण है। हाल में दोनों देशों के बीच सीमा विवाद बढ़ा है। हालांकि, वर्तमान प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की कोशिश चीन और भारत के साथ संबंधों में संतुलन साधने की है। पूर्ववर्ती ओली के कार्यकाल में द्विपक्षीय संबंधों में बढ़ी तल्खी पहले की तुलना में कम हुई है। अब प्रचंड की भारत यात्रा और द्विपक्षीय वार्ता के बाद स्थिति में और बदलाव की उम्मीद जताई जा रही है।
सेशेल्स : भारत के प्रयासों का हमेशा समर्थन
समुद्री सुरक्षा की दृष्टि से सेशेल्स बेहद अहम देश है। दोनों देश अतीत में समुद्री सुरक्षा के मामले में मजबूत सहमति के साथ आगे बढ़े हैं। सेशेल्स ने समुद्री सुरक्षा के संदर्भ में भारत के प्रयासों और विचारों का हमेशा समर्थन किया है। ऐसे में शपथ ग्रहण समारोह में सेशेल्स के उपराष्ट्रपति अहमद अफिक की उपस्थिति दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत बनाएगी। खासतौर पर समुद्री क्षेत्र में डकैती की बढ़ती घटनाओं और अवैध रूप से मछली के शिकार पर लगाम लगाने के लिए भी दोनों देशों के रिश्ते बेहद अहम साबित होंगे।
मॉरीशस : ब्लू इकनॉमी व साइबर सुरक्षा में सहयोग
भारत और मॉरीशस के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध दशकों पुराने और परस्पर विश्वास पर आधारित हैं। शपथ ग्रहण में राष्ट्रपति प्रविद कुमार जगन्नाथ विशेष मेहमान बने। हाल ही में दोनों देशों ने ब्लू इकनॉमी और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा दिया है। समुद्री सुरक्षा की दृष्टि से मॉरीशस भारत के लिए बेहद अहम है। द्विपक्षीय वार्ता के कारण दोनों देशों के बीच व्यापक और निवेश बढ़ेगा। इससे दोनों देशों के ऐतिहासिक रिश्ते और मजबूत होंगे।
मालदीव : तनातनी दूर कर रिश्तों में सुधार की आस
मालदीव में सत्ता परिवर्तन के बाद दोनों देशों के रिश्तों पर प्रतिकूल असर पड़ा है। नए राष्ट्रपति डॉ. मो. मोइज्जू चीन के ज्यादा करीब हैं। पीएम मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के बाद तनातनी बढ़ी तो भारत को अपने सैनिकों को बुलाना पड़ा। हालांकि भारत से बिगड़े रिश्ते को लेकर मोइज्जू अपने ही देश में निशाने पर हैं। भारत पिछली इब्राहिम मो. सोलिह सरकार के तहत परियोजनाओं को लागू करने का इच्छुक है और मालदीव को चीन से हुए समझौतों के प्रति आगाह करना चाहता है। मोइज्जू की भारत यात्रा के बाद स्थिति में बदलाव की उम्मीद जताई जा रही है।
भूटान : ऊर्जा, जल प्रबंधन व शिक्षा में बढ़ा सहयोग
चीन की भारत के जिन पड़ोसी देशों पर नजर है, उसमें भूटान अहम है। हालांकि, भारत व भूटान के संबंध रणनीतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से मजबूत हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद भी पीएम ने भूटान का दौरा किया था। दोनों देशों का ऊर्जा, जल प्रबंधन और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग बेहतर है। हाल में जलविद्युत परियोजनाओं को आगे बढ़ाने पर समझौता हुआ है। बतौर विशेष मेहमान पीएम त्शेरिंग तोबगे के भारत आने से इन रिश्तों को नई दिशा के साथ और मजबूती मिलेगी।
बांग्लादेश : सीमा विवाद सुलझाने को पांच समझौते
प्रधानमंत्री शेख हसीना के कार्यकाल में दोनों देशों के रिश्ते प्रगाढ़ हुए हैं। व्यापार बढ़ा है। जल संसाधन प्रबंधन व क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग में भी दोनों देशों ने बेहद प्रगति की है। सीमा विवाद के निपटारे के लिए हाल में 5 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं। ऐसे में शपथ ग्रहण समारोह में बांग्लादेश की शिरकत द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करेगी। खासकर बांग्लादेश से भारत की कीमत पर मजबूत द्विपक्षीय रिश्ते बनाने में जुटे चीन को झटका लगेगा। बांग्लादेश हिंद महासागर क्षेत्र का अहम देश है। ऐसे में मोदी की नई सरकार में नई समुद्र नीति को मजबूती मिलेगी।
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