इंदौर। पवित्र वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का पर्व 30 अप्रैल को विभिन्न योगों में मनाया जाएगा। शहर के मंदिरों में अक्षय तृतीया पर विभिन्न अनुष्ठान होंगे। ब्राह्मण समाज भगवान परशुराम की शोभायात्रा निकालेगा, वहीं सामूहिक विवाह की धूमधाम शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में रहेगी। धर्मशास्त्रों के अनुसार आखातीज को श्री विष्णु, माता लक्ष्मी और गौरी की पूजा से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन दान-पुण्य करना और सोना खरीदना शुभ माना जाता है। यह दिन सतयुग और त्रेतायुग के आरम्भ का प्रतीक है। वहीं श्रीहरि के अवतार भगवान परशुराम का इस पावन भूमि पर धर्म की स्थापना के लिए अवतार अक्षय तृतीया पर ही हुआ था।
आचार्य पं. रामचन्द्र शर्मा वैदिक ने बताया कि 29 अप्रैल को शाम 5.32 बजे से 30 अप्रैल की दोपहर 2.25 बजे तक अक्षय तृतीया की तिथि रहेगी। उदयातिथि में 30 अप्रैल को शुभ अक्षय तृतीया मनाई जाएगी। उल्लेखनीय है कि अक्षय तृतीया को किए गए दान, पुण्य, जप और तप का फल कभी नष्ट नहीं होता है। हिंदू धर्म में धन, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक मानी जाती है अक्षय तृतीया। इस तिथि में किए गए सभी काम सफल और सिद्ध होते हैं। इस तिथि में कोई भी शुभ काम किया जा सकता है। जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है कि अक्षय, यानी जिसका क्षय न हो या जो कभी खत्म न हो। वहीं तृतीया, यानी तीसरी तिथि। इस तरह से अक्षय तृतीया का अर्थ हुआ कि वैशाख माह की तीसरी तिथि को जो भी काम किए जाएंगे, उनका कभी क्षय नहीं होगा।.
अनेक ब्राह्मण संगठन निकालेंगे परंपरागत शोभायात्रा
30 अप्रैल को बड़ा गणपति से राजबाड़ा तक सर्वब्राह्मण समाज के बैनर तले शोभायात्रा निकाली जाएगी। वहीं बापट चौराहे से सर्वब्राह्मण युवा संगठन विशाल शोभायात्रा निकालेगा। परशुराम महासभा मप्र द्वारा तीन दिनी कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। 29 अप्रैल को राजेंद्र नगर स्थित परशुराम चौक पर भगवान परशुराम की आरती और 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया पर ब्रह्मतीर्थ जानापाव पहुंचकर शहर के विप्र बंधु सुबह 4 बजे भगवान परशुराम की प्रतिमा का दुग्धाभिषेक करेंगे।
बद्रीनाथ के कपाट खुलेंगे, बांकेबिहारी के चरण दर्शन होंगे
अक्षय तृतीया का बड़ा महत्व है। चार धामों में से एक बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तैयारियां और धाम में अनुष्ठान होंगे तो वहीं वृंदावन में बांकेबिहारीजी के चरण के दर्शन भी अक्षय तृतीया के दिन ही होंगे। इस दिन अपने पूर्वजों की पूजा और पिंडदान से पितरों को मोक्ष मिलता है। सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत भी इसी दिन हुई थी। इस दिन भगवान विष्णु ने नर-नारायण और परशुराम का अवतार लिया था।
विभिन्न योगों में इस बार शुभ फलदायी रहेगी अक्षय तृतीया
इस साल अक्षय तृतीया पर त्रिवेणी, सर्वार्थसिद्धि योग, शोभन योग और रवि योग बन रहे हैं। यह सभी ही अद्भुत योग हैं। सर्वार्थसिद्धि योग में जो भी काम किया जाता है, वह सिद्ध हो जाता है। शोभन योग शुभता का संकेत देता है और रवि योग काम में सफलता दिलाता है। ऐसे में इन योगों में पूजा, जप, तप और दान का विशेष महत्व है। इस दिन प्रभु विष्णु की आराधना और जप से अक्षय फल की प्राप्ति कर सकते हैं।
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