कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी यानि अमावस्या (new moon) से पूर्व आने वाले दिन को हम छोटी दिवाली के रूप में है। दिवाली के पर्व में इस दिन के महत्व (Importance) के बारें में भी जानना काफी जरूरी हो जाता है कि इसका क्या महत्व है। छोटी दिवाली को दूसरे शब्दों में हम नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। दिवाली का त्योहार इस साल गुरुवार 4 नवंबर 2021 (Diwali 2021 kab hai) को मनाया जाएगा। दिवाली पर माता लक्ष्मी (mata lakshmi) और गणेश जी का पूजन किया जाता है। लक्ष्मी पूजन के लिए इस साल चार ग्रहों के एक ही राशि में होने से शुभ योग बन रहा है। ज्योतिष के अनुसार इस शुभ योग में पूजन होने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा अपने भक्तों पर रहेगी।
चार ग्रहों की बन रही युति (Diwali 2021 Shubh Sayog)
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि दिवाली कार्तिक मास (Kartik month) की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाई जाएगी। हिंदू कैंलेंडर के अनुसार 04 नवंबर 2021 गुरुवार को कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या की तिथि है। इस दिन धन की देवी लक्ष्मी जी की विशेष पूजा (worship) अर्चना की जाती है। वहीं इस दिन एक साथ चार ग्रहों की युति बन रही है। दिवाली पर तुला राशि में सूर्य, बुध, मंगल और चंद्रमा मौजूद रहेंगे।
इसलिए बन रहा शुभ योग
तुला राशि के स्वामी शुक्र हैं। लक्ष्मी जी की पूजा से शुक्र ग्रह की शुभता में वृद्धि होती है। ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को लग्जरी लाइफ, सुख-सुविधाओं आदि का कारक माना गया है। वहीं सूर्य को ग्रहों का राजा(king of planets), मंगल को ग्रहों का सेनापति और बुध को ग्रहों का राजकुमार कहा गया है। इसके साथ ही चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। वहीं सूर्य पिता तो चंद्रमा को माता कारक माना गया है।
मां लक्ष्मी को लगाएं भोग
मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए फलों में आप लक्ष्मी जी की पूजा में सिंघाड़ा,अनार, श्रीफल आदि अर्पित कर सकते हैं। दिवाली की पूजा में सीताफल को भी रखा जाता है। इसके अलावा दिवाली की पूजा में कुछ लोग ईख भी रखते हैं। सिंघाड़ा भी नदी के किनारे पाया जाता है इसलिए मां लक्ष्मी को सिंघाड़ा(water chestnut) भी बहुत पंसद है। मिष्ठान में मां लक्ष्मी को केसरभात, चावल की खीर जिसमें केसर पड़ा हो, हलवा आदि भी बहुत पसंद हैं।
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
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