नई दिल्ली: भारत में तेंदुए कैनाइन डिस्टेंपर वायरस (CDV) रोग के एडवांस स्टेज से संक्रमित हैं, जो इन्हें मनुष्यों से कम भयभीत करता है. एक्सपर्ट के अनुसार इस रोग की वजह से तेंदुए खाने की तलाश में भीड़भाड़ वाले इलाकों में लगातार जाना शुरू कर देते हैं. यह रोग इन तेंदुओं से घरेलू कुत्तों में भी पहुंच सकता है. हाल ही में तेंदुओं का शहरी आबादी में आने की घटनाएं आम हो गई हैं, इसी वजह से हादसों की आशंकाएं बढ़ गई हैं. हाल ही में जयपुर के जामवारामगढ़ में एक डेढ़ साल के बच्चे को तेंदुए ने मार डाला.
10 फरवरी को दो जगहों पर तेंदुए के लोगों की बस्ती में घुसने की खबरें सामने आईं थीं जिनमें से एक महाराष्ट्र के सतारा जिले में दूसरा कर्नाटक के मैसूर जिले की थी. 8 फरवरी को एक जंगली तेंदुआ दिल्ली एनसीआर के गाजियाबाद कोर्ट में घुस गया था. इस खतरनाक तेंदुए ने यहां पर 8 लोगों को घायल कर दिया था. यहां के वीडियोज भी सामने आए थे जहां पर साफ देखा जा सकता था कि तेंदुए का मुंह खून से सना हुआ है और वह कोर्ट के एक कोने में बैठा हुआ है.
नई जांच के मुताबिक सीडीवी डिसीज तेंदुओं के आक्रामक बर्ताव को भी बढ़ाता है. सीडीवी वायरस की पहचान कैनाइन मॉर्बिलीवायरस के रूप में भी की जाती है. Paramyxoviridae परिवार में एक अत्यधिक संक्रामक सिंगल स्ट्रेंज्ड RNA वायरस है, जो मांसाहारियों के बीच एडवांस स्टेज में ‘डिसओरिएंटेशन’ और ‘निडरता’ जैसे न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का कारण बनता है.
‘सीडीवी इन टाइगर्स एंड लिपर्ड्स इन नेपाल’ शीर्षक के साथ यह स्टडी एक इंटरनेशनल जरनल पेथोजेन्स में 28 जनवरी को पब्लिश की गई थी. इस स्टडी में इस ओर इशारा किया गया है कि भारत के 6 तेंदुए जिन्हें नेपाली अथॉरिटीज के सामने पेश किया गया था वह सीडीवी से संक्रमित थे. अध्ययन यह भी बताता है कि भारत के बाघ और तेंदुए जैसे मांसाहारी जानवर इस खतरनाक वायरस से संक्रमित हैं. भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) के डीन डॉ यादवेंद्र देव झाला कहते हैं, “यह पूरी तरह से संभव है क्योंकि सीडीवी से संक्रमित जानवर रेबीज की तरह इंसानों का डर खो देते हैं.”
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