नई दिल्ली: सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी (Nag Panchami 2022) का त्योहार मनाया जाता है. तिथि के मुताबिक इस बार नाग पंचमी 2 अगस्त को पड़ रही है. नाग पंचमी के दिन स्त्रियां नाग देवता की पूजा करती हैं और सांपों को दूध पिलाया जाता है. सनातन धर्म में सर्प को पूज्यनीय माना गया है. नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा की जाती है और उन्हें गाय के दूध से स्नान कराया जाता है. माना जाता है कि जो लोग नाग पंचमी के दिन नाग देवता के साथ ही भगवान शिव की पूजा और रुद्राभिषेक करते हैं, उनके जीवन से कालसर्प दोष खत्म हो जाता है. साथ ही राहु और केतु की अशुभता भी दूर होती है.
महाकाल की नगरी उज्जैन को मंदिरों का शहर कहा जाता है. इस शहर की हर गली में एक ना एक मंदिर जरूर है. उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर के तीसरे भाग में नागचंद्रेश्वर मंदिर है. नागचंद्रेश्वर मंदिर का अपना अलग महत्व है. इस मंदिर की सबसे खास बात ये है कि मंदिर के कपाट साल में सिर्फ एक बार नाग पंचमी के दिन 24 घंटे के लिए ही खुलते हैं. नागचंद्रेश्वर मंदिर की क्या खास बात है यह भी जान लेते हैं.
नेपाल से लाई गई थी प्रतिमा
भगवान नागचंद्रेश्वर की मूर्ति काफी पुरानी है और इसे नेपाल से लाया गया था. नागचंद्रेश्वर मंदिर में जो अद्भुत प्रतिमा विराजमान है उसके बारे में कहा जाता है कि वह 11वीं शताब्दी की है. इस प्रतिमा में शिव-पार्वती अपने पूरे परिवार के साथ आसन पर बैठे हुए हैं और उनके ऊपर सांप फल फैलाकर बैठा हुआ है. बताया जाता है कि इस प्रतिमा को नेपाल से लाया गया था. उज्जैन के अलावा कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है. यह दुनिया भर का एकमात्र मंदिर है जिसमें भगवान शिव अपने परिवार के साथ सांपों की शय्या पर विराजमान हैं.
त्रिकाल पूजा की है परंपरा
मान्याताओं के मुताबिक, भगवान नागचंद्रेश्वर की त्रिकाल पूजा की परंपरा है. त्रिकाल पूजा का मतलब तीन अलग-अलग समय पर पूजा. पहली पूजा मध्यरात्रि में महानिर्वाणी होती है, दूसरी पूजा नागपंचमी के दिन दोपहर में शासन द्वारा की जाती है और तीसरी पूजा नागपंचमी की शाम को भगवान महाकाल की पूजा के बाद मंदिर समिति करती है. इसके बाद रात 12 बजे वापिस से एक साल के लिए बंद हो जाएंगे.
पौराणिक कथा
मान्यताओं के मुताबिक, सांपों के राजा तक्षक ने भगवान शिव को मनाने के लिए तपस्या की थी जिससे भोलेनाथ प्रसन्न हुए और सर्पों के राजा तक्षक नाग को अमरत्व का वरदान दिया. वरदान के बाद से तक्षक राजा ने प्रभु के सान्निध्य में ही वास करना शुरू कर दिया. लेकिन महाकाल वन में वास करने से पूर्व उनकी यही इच्छा थी कि उनके एकांत में विघ्न ना हो.इसलिए यही प्रथा चलती आ रही है कि सिर्फ नागपंचमी के दिन ही उनके दर्शन होते हैं. बाकी समय परंपरा के अनुसार मंदिर बंद रहता है. दर्शन को उपलब्ध होते हैं. शेष समय उनके सम्मान में परंपरा के अनुसार मंदिर बंद रहता है.
नाग पंचमी शुभ मुहूर्त (Nag Panchami 2022 Shubh Muhurat)
नाग पंचमी की पूजा-विधि (Nag Panchami 2022 Puja Vidhi)
नाग पंचमी के दिन अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट, शंख, कालिया और पिंगल नामक देव नागों की पूजा की जाती है. पूजा में हल्दी, रोली, चावल और फूल चढ़ाकर नागदेवता की पूजा करें. कच्चे दूध में घी और चीनी मिलाकर नाग देवता को अर्पित करें. इसके बाद नाग देवता की आरती उतारें और मन में नाग देवता का ध्यान करें. अंत में नाग पंचमी की कथा अवश्य सुनें.
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