नई दिल्ली. सनातन धर्म (eternal religion) में मंदिर का विशेष महत्व है. भारत में स्थान-स्थान पर अलग-अलग देवी-देवताओं के छोटे-बड़े मंदिर मौजूद हैं. देश में कई अनोखे और चमत्कारी मंदिर(miraculous temple) हैं. मंदिरों में देवी-देवताओं की पूजा होते देखा या सुना होगा. लेकिन क्या कभी आपने ऐसे मंदिर के बारे में सुना है जहां पर मेंढक (Frog) की पूजा होती है? यदि नहीं, तो चहिए जानते हैं इस बारे में.
सदियों पुराना है यह मंदिर
यह भारत का एकमात्र मंदिर है जहां पर मेंढक की पूजा की जाती है. दरअसल यह अद्भुत मंदिर उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खिरी जिले के ओयल नामक बस्ती में स्थित है. इस जगह के बारे में कहा जाता है यहां पहले ओयल शैव संप्रदाय निवास करते थे. जो कि भगवान शिव (Lord Shiva) के उपासक थे. कहते हैं कि यह इलाका 11वीं से 19वीं सदी तक चाहमान शासकों के अधीन था. इस वंश के राजा बख्श सिंह ने ही इस अनोखे मंदिर (Unique Temples) का निर्माण करवाया था.
मेंढक बदलता है शिवलिंग का रंग
इस मंदिर में शिवलिंग के सामने मेंढक की मूर्ति है. कहते हैं कि मेंढक मंदिर के शिवलिंग का रंग बदलता है. साथ ही इस मंदिर में स्थापित नंदी की अद्भुत मूर्ति दूसरी जगह देखने को नहीं मिलती है. इसके अलावा मंदिर की दीवारों पर ऐसे दवी-देवताओं की मूर्तियां लगी हैं, जिनकी पूजा तांत्रिक विधि से होती है.
तांत्र शास्त्र के अनुसार है यह मंदिर
इस मंदिर की संरचना विशेष शैली में होने के कारण लोगों का मनमोह लेती है. रहते हैं कि इस मंदिर की संरचना तंत्र शास्त्र के आधार पर की गई है. माना जाता है कि इस मंदिर की वास्तु परिकल्पना कपिला के एक महान तांत्रिक ने की थी. इस मंदिर के बारे में एक मान्यता यह भी कि इसे प्रकृतिक आपदा से बचाव के लिए बनवाया गया था. इस मेढक मंदिर में महाशिवरात्रि और दीवाली पर भक्तों का तांता लगा रहता है.
(नोट– उपरोक्त दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. हम इनकी पुष्टि नहीं करते है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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