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    अद्भुत रहस्‍यमयी है ये मंदिर, बकरें की बलि देने के बाद भी नही जाती है बकरे की जान

  • December 18, 2020

    भारत कहानियों और अनेकों रहस्य से भरा एक अद्भुत और अतुल्य देश है.जहां के चप्पे-चप्पे में कोई न कोई रहस्य मौजूद है।वहां की मान्यताएं इस देश को अपने आप में सबसे अलग बनाती है.भारत में अनेकों चमत्कारी और रहस्य में मंदिर और देवस्थान मौजूद है। आज के हमारे इस आर्टिकल में हम एक बार फिर भारत के कुछ ऐसे अद्भुत रहस्यमय मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं।इनके बारे में जानकर आप सभी लोग हैरान रह जाएंगे।

    जहां आस्था है वहां शक की कोई गुंजाइश नहीं होती लेकिन इस मंदिर के रहस्य पर आज तक जिसने भी सवाल उठाए हैं वह इस मंदिर के रहस्य की सच्चाई को झुठला भी नहीं पाए हैं।तो चलिए दोस्तों बिना किसी देरी के शुरू करते हैं आज का आर्टिकल और जानते हैं इस मंदिर के बारे में ।मुंडेश्वरी मंदिर

    बिहार के कैमूर जिले में भभुआ नाम के एक गांव में मौजूद है मुंडेश्वरी देवी का एक बेहद चमत्कारी और रहस्य में मंदिर।करीब 1900 साल पुराना यह मंदिर यहां होने वाली बेहद विचित्र घटना के लिए मशहूर है। दरअसल इस मंदिर में पशु बलि की परंपरा है।श्रद्धालु इस मंदिर में देवी को प्रसन्न करने के लिए बकरों की बलि देते हैं लेकिन इस मंदिर में चढ़ाए जाने वाली बली में ना तो किसी हथियार की जरूरत पड़ती है और ना ही एक भी बूंद खून इस मंदिर की मिट्टी पर गिरता है।

    यहां दी जाने वाली भली में इस्तेमाल किया जाता है कुछ फूल की पत्तियों का और चंद चावलों के दानों का।भक्त अपने जानवरों के साथ मंदिर में प्रवेश करते हैं और यहां के पुजारी उन जानवरों को देवी की मूर्ति के सामने लेटा देते हैं और फिर मूर्ति के पास से पुजारी एक फूल और कुछ चावलों के दानों को उठाकर जानवर के शरीर पर रख देते हैं।इसके कुछ ही क्षणों बाद जानवर बिल्कुल अचेत अवस्था में चला जाता है।उसके शरीर में किसी भी तरह की कोई हरकत नहीं होती जबकि अमूमन ऐसा देखा जाता है कि अगर किसी जानवर को इस तरह से लेता दिया जाता है तो वह बेहद बेचैन हो जाते हैं और इधर-उधर भागने की कोशिश करने लगते हैं लेकिन मुंडेश्वरी मंदिर में ऐसा कुछ भी नहीं होता।

    फिर पुजारी एक बार फिर मूर्ति के पास आता है और जानवर के मृत शरीर पर एक फूल और कुछ चावल फेंकता है और वह जानवर फिर से उठ खड़ा होता है। चमत्कार देखने वालों की आंखें फटी की फटी रह जाती हैं इस मंदिर में होने वाली इस अद्भुत घटना को कई एक्सपर्ट्स ने भी देखा है लेकिन आज तक कोई भी इस घटना का कोई साइंटिफिक कारण नहीं दे सका है।

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