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    कैंसर अस्पताल में रोज दो ढाई सौ लोगों को खाना खिलाती है ये टीम

  • July 28, 2022

    आदमी का आदमी हर हाल में हमदर्द हो
    इक तवज्जो चाहिये इंसा को इंसा की तरफ

    अगर दिल मे किसी की मदद का जज़्बा हो तो नामुमकिन चीज़ भी मुमकिन हो सकती है। आखिर इंसान ही तो इंसान के काम आएगा। इस मिसाल को कायम रख रहे हैं भोपाल के कुछ व्यापारी और समाजसेवी। 15 लोगों की ये टीम जवाहरलाल नेहरू कैंसर अस्पताल के मरीजों और तीमारदारों को हर रोज़ रात का खाना मुहैया कराती है। कैंसर अस्पताल परिसर में हर शाम 200 से 250 लोगों को ये टीम अपने खर्चे से गरमागरम खाना अपने हाथों से देती है। यूं भी केंसर जैसी लाईलाज बीमारी से मरीज़ ज़हनी और जिस्मानी तौर पे टूट जाता है। ऐसे में सूबे के दूरदराज जि़लों से आये मरीजों और उनके तीमारदारों के लिए खाने की मुश्किल पेश आती है। ईदगाह हिल पे बने केंसर अस्पताल की धर्मशाला में मरीज़ के साथ आये लोग रुकते हैं। कोरोना काल के पहले अमित कीमती ने सबसे पहले इस दिक्कत को देखा। उनके दिल मे मरीजों और तीमारदारों को नि:शुल्क खाना खिलाने के विचार आया। अमित भाई ने अपने अज़ीज़ दोस्त भोपाल के बड़े व्यापारी और जैन समाज की मुअजि़्जज़़ हस्ती अरविंद जैन सुपारी से मशवरा करा। तय हुआ के शाम के वखत केंसर अस्पताल में खाने का इंतज़ाम किया जाए। खाने में दाल, रोटी, सब्ज़ी और चावल शामिल हैं। अरविंद जैन सुपारी बताते हैं कि अब हमारी मुहिम में 15 लोग जुड़ गए हैं।


    इनमे अमित कीमती, अरविंद जैन सुपारी के अलावा सतीश जैन, अनुभव सराफ, श्याम अग्रवाल, डाक्टर अजय जैन, राजेश तांतेड़ सहित कई समाजसेवी शामिल हैं। अरविंद भाई बताते हैं कि दीगर लोग भी अपनी सालगिरह या परिवार के किसी बुजुर्ग की जयंती पर अपनी तरफ से खाने का आर्डर हमें देते हैं। फिक्स मीनू के साथ हफ्ते में दो दफे फल और एक बार मिठाई भी दी जाती है। हर वार त्योहार पे भी फल और मिठाई परोसी जाती है। अरविंद भाई के मुताबिक ये खाना अस्पताल के केंटीन में पकता है। हमारी टीम को तैयार खाना ट्रॉली में मिल जाता है। अस्पताल परिसर में महिला और पुरुषों की लाइन लग जाती है। सभी को करीने स खाना बांट दिया जाता है। साथ ही मरीजों के लिए तयशुदा डाइट का खाना हम भिजवा देते हैं। इसका माहाना खर्च तकरीबन 1 लाख रुपए तक पहुंच जाता है। टीम के 15 मेम्बर इसका खर्च वहन करते हैं। सभी मेम्बरों का मानना है कि इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं होता। किसी जरूरतमंद को भरपेट खाना खिलाने का बड़ा सवाब है। अरविंद भाई केते हैं के इस नेक काम के लिए ऊपर वाले ने हमे चुना है। लिहाज़ा हम लोग सभी काम छोड़ के इस फज़ऱ् को पूरा करते हैं। भोत उम्दा काम कर रय हो साब आप लोग। इसे हमेशा जारी रखियेगा।

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