नई दिल्ली: टाटा मोटर्स (Tata Motors) के लिए पिछले दो-ढाई साल काफी शानदार साबित हुए हैं. इस दौरान न सिर्फ कंपनी की कारों की बिक्री (Tata Motors Sale) में उछाल आया है, बल्कि इस कंपनी के स्टॉक ने शेयर मार्केट (Share Market) में भी शानदार परफॉर्म किया है. पिछले ढाई साल के दौरान टाटा मोटर्स के स्टॉक (Tata Motors Stock) ने 600 फीसदी से ज्यादा की छलांग लगाई है और इन्वेस्टर्स के पैसे को 07 गुना बनाया है.
शेयर बाजार में ऐसे चढ़ा स्टॉक
आज से करीब ढाई साल पहले 03 अप्रैल 2020 को टाटा मोटर्स के एक शेयर का भाव 65.30 रुपये था. शुक्रवार के कारोबार में यह स्टॉक 1.25 फीसदी मजबूत होकर 464.80 रुपये पर बंद हुआ था. इस तरह पिछले ढाई साल के दौरान टाटा मोटर्स के स्टॉक के भाव में 611 फीसदी की तेजी आई है. इसक दूसरे शब्दों में कहें तो इस अवधि में टाटा मोटर्स के शेयर ने अपने इन्वेस्टर्स को 7.12 गुना रिटर्न दिया है. यानी अगर किसी इन्वेस्टर ने अप्रैल 2020 में इस स्टॉक में 01 लाख रुपये लगाए होते और उसे होल्ड करके रखता तो अभी उसके इन्वेस्टमेंट की वैल्यू बढ़कर 7.12 लाख रुपये हो जाती.
झुनझुनवाला के पास थे करोड़ों शेयर
हाल ही में दिवंगत हुए दिग्गज इन्वेस्टर राकेश झुनझुनवाला (Rakesh Jhunjhunwala) को टाटा समूह के स्टॉक्स खूब पसंद रहे हैं. उन्हें शेयर मार्केट का बिग बुल बनाने में टाटा समूह की कंपनी टाइटन के स्टॉक का बड़ा योगदान है. झुनझुनवाला को टाटा समूह का यह स्टॉक भी खूब पसंद था. जून तिमाही के अंत के आंकड़ों को देखें तो टाटा मोटर्स में राकेश झुनझुनवाला की 1.09 फीसदी हिस्सेदारी थी. उनके पास टाटा मोटर्स के 3.62 करोड़ शेयर थे.
अभी इतना है कंपनी का मार्केट कैप
शुक्रवार को बीएसई पर टाटा मोटर्स के 4.55 लाख शेयरों की खरीद-बिक्री हुई, जिससे 21.25 करोड़ रुपये का टर्नओवर जेनरेट हुआ था. इसका 52-वीक हाई लेवल 536.50 रुपये है, जो 17 नवंबर 2021 को अचीव हुआ था. टाटा मोटर्स ने 52-वीक लो लेवल 26 अगस्त 2021 को बनाया था, जो 281.40 रुपये है. अभी इसका मार्केट कैप बढ़कर करीब 1.54 लाख करोड़ रुपये है. पिछले एक साल के दौरान टाटा मोटर्स के स्टॉक में 62.54 फीसदी की तेजी आई है. हालांकि यह साल अब तक इसके लिए ठीक नहीं रहा है. साल 2022 की शुरुआत से अब तक के हिसाब से यह स्टॉक 6.66 फीसदी के नुकसान में है.
बिक्री तो बढ़ी, पर घाटा भी बढ़ गया
कंपनी के शेयर होल्डिंग पैटर्न को देखें तो जून तिमाही के अंत तक के आंकड़ों के हिसाब से इसमें 40.08 लाख पब्लिक शेयरहोल्डर्स के पास 178 करोड़ शेयर यानी 53.60 फीसदी हिस्सेदारी थी. वहीं आठ प्रवर्तकों के पास कंपनी की 46.40 फीसदी हिस्सेदारी है. म्यूचुअल फंडों के पास कंपनी के 22.67 करोड़ शेयर यानी 6.83 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि एफपीआई के पास इसके 45.52 करोड़ शेयर यानी 13.71 फीसदी हिस्सेदारी है. जून तिमाही के दौरान कंपनी की बिक्री बढ़कर 71,935 करोड़ रुपये हो गई. हालांकि इस दौरान कंपनी का घाटा भी बढ़कर 4,951 करोड़ रुपये हो गया.
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