डेस्क: भगवान गणेश को हिंदू धर्म में सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है. किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले भगवान गणेश की ही पूजा की जाती है और उन्हें हिंदू धर्म में भाग्य का भी देवता माना गया है. किसी भी नई शुरुआत से पहले भगवान गणेश की पूजा करना अहम माना जाता है. इससे काम में लाभ मिलता है और बप्पा की कृपा लोगों पर बनी रहती है. इस दिन गणेश भगवान का व्रत रखने से भी लाभ मिलता है. इसके अलावा इस दिन अगर कथा पाठ किया जाए तो भगवान गणेश खुश होते हैं और उनकी विशेष कृपा देखने को मिलती है.
कथा की बात करें तो एक बार भगवान गणेश और मां पार्वती नदी के किनारे बैठे थे. मां पार्वती ने इस दौरान वक्त बिताने के लिए शिव जी से चौपड़ खेलने की विनती की. शिव जी भी खेलने के लिए तैयार हो गए. लेकिन यहां पर सबसे बड़ी दुविधा ये पैदा हुई कि आखिर इस खेल में हार-जीत का फैसला कौन करेगा. ऐसे में शिव जी ने कुछ तिनके बंटोरे और पुतला बनाकर उसकी प्राण प्रतिष्ठा कर दी. इसके बाद उन्होंने पुतलों से ये विनती की कि बेटा तुम इस खेल को देखना और हार जीत का सही फैसला करना.
शिव जी और पार्वती जी ने इसके बाद ये खेल खेलना शुरू किया. उन्होंने ये खेल 3 बार खेला मगर तीनों बार ही पार्वती जी जीत गईं और शिव जी की हार हुई. अब फैसले की घड़ी थी. फैसला हुआ. इस दौरान पार्वती जी को विजयी बनाने की जगह लड़के ने शिव जी को विजयी घोषित कर दिया. ये नतीजा सुनकर पार्वती जी उखड़ गईं और उन्हें बहुत तेज गुस्सा आया. उन्होंने उनके साथ धोखा करने वाले को श्राप दिया. मां पार्वती ने बालक को लंगड़ा होने का और कीचड़ में पड़े रहने का श्राप दे दिया. बालक को जब उसकी गलती का एहसास हुआ तो उसने मां पार्वती से इसकी माफी मांगी.
मां पार्वती ने उसे माफ किया और कहा- एक वर्ष के बाद इस स्थान पर गणेश पूजन के लिए नाग कन्याएं आएंगी. उनके हिसाब से गणेश व्रत करने से फल प्राप्ति होगी और तुम मुझे प्राप्त करोगे. एक साल के बाद वहां पर नाग कन्याएं आईं तो बालक ने उनसे गणेश भगवान के व्रत की जानकारी ली. पूरे विधि-विधान से शख्स ने 21 दिन तक गणेश भगवान का व्रत रखा और पूजा-पाठ किया. ऐसा करने से भगवान गणेश प्रसन्न हुए और उसने बालक से वरदान मांगा. बालक ने भगवान गणेश से कहा कि वो उसे इतनी ताकत दे दें कि वो अपने पैरों पर खड़ा हो सके और अपने माता-पिता के साथ कैलाश आ सके.
ये व्रत कथा इतनी ताकतवर है कि शिव जी को भी इस व्रत कथा का पालन करना पड़ा था. दरअसल खेल के दौरान बालक द्वारा गलत परिणाम की घोषणा करने के बाद मां पार्वती सिर्फ उस बालक से ही परेशान नहीं हुई थी बल्कि शिव जी से भी पार्वती जी काफी क्रोधित हो गई थीं. ऐसे में जब कैलाश पर्वत पर पहुंचकर बालक ने शिव को ये कथा बताई तो शिव जी ने भी गणेश भगवान का 21 दिन का व्रत रखा. इससे मां पार्वती प्रसन्न हुईं और शिव जी को लेकर उनका जो गुस्सा था वो शांत हो गया.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved