उज्जैन। अंकपात मार्ग स्थित एक स्थान ऐसा भी है जो भले ही पुरातत्व विभाग के पास संरक्षित है लेकिन यह न केवल प्राचीन वास्तु और मूर्ति शिल्प का खजाना रहा है वहीं एक समय ऐसा भी था जब अवकाशों में यहां पर्यटकों की भीड़ बनी रहती थी परंतु महसूस होता है कि देखरेख के अभाव में यहां की स्थिति दिनों दिन बिगड़ती चली जा रही है। जिस स्थान का यहां उल्लेख किया जा रहा है वह श्री रामजर्नादन मंदिर है और इसका ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व रहा है। फिलहाल यह स्थान राज्य संरक्षित स्मारक है परंतु यहां यदि ध्यान नहीं दिया गया तो न केवल इस स्थान की प्राचीनता धूमिल होगी वहीं नई पीढ़ी को यह मालूम नहीं पड़ेगा कि इस स्थान का महत्व क्या रहा है।
रसायन के माध्यम से मूर्तियों के संरक्षण की आवश्यकता
पुराविद् डॉ.रमण सोलंकी के अनुसार रामजनार्दन मंदिर उत्कृष्ट वास्तुकला व मूर्तिशिल्प का खजाना है। यहां मौजूद 11 वीं शताब्दी की गोवर्धनधारी भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति दुर्लभ है। इसी प्रकार की एक मूर्ति प्राच्य सिंधिया पुरातत्व संग्रहालय में दृश्य होती है। 10 वीं शताब्दी की शेषशायी भगवान विष्णु की मूर्ति तथा मंदिर के गर्भगृह में विराजित भगवान प्रभु श्रीराम, माता सीता व लक्ष्मणजी की मूर्ति भी अद्भुत है। यह स्मारक राज्य संरक्षित है। हालांकि रसायन के माध्यम से मूर्तियों के संरक्षण की आवश्यकता महसूस हो रही है। इसके लिए सरकार को रसायनविदों की मदद से शंका को पुष्ट करना चाहिए, क्योंकि मराठाकाल की ऐसी मूर्तियां अब प्राप्त नहीं होती।
मराठाकालीन चित्रकारी को क्षति
मंदिर में प्रभु श्रीराम, विष्णु तथा गोवर्धनधारी श्रीकृष्ण की मूर्तियां विराजित हैं। भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली सांदीपनि आश्रम के परिक्षेत्र में स्थित होने से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि अंकपात मार्ग कालांतर में वैष्णवमार्गियों का आध्यात्मिक केंद्र था। हालांकि उचित देखभाल नहीं होने से मंदिर उपेक्षित नजर आ रहा है। मंदिर के भीतर मराठाकालीन चित्रकारी को क्षति पहुंच रही है। वहीं दुर्लभ मूर्तियों की ओर भी ध्यान देना जरूरी है।
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