भोपाल: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने (improve the quality of education) के लिए ‘एक शाला-एक परिसर’ का मॉडल (‘One school-one campus’ model) लागू है, लेकिन एमपी का यह स्कूल मॉडल अब देश के सभी राज्यों में लागू (Applicable in all the states of the country) होगा. क्योंकि नीति आयोग ने मध्य प्रदेश का स्कूल मर्जर मॉडल देश भर में लागू करने की सिफारिश की है. नीति आयोग ने देश के सभी राज्यों में यह स्कूल मॉडल लागू करने की सिफारिश की है. फिलहाल यह मॉडल मध्य प्रदेश के साथ-साथ ओडिशा और झारखंड में भी लागू है.
दरअसल, ‘एक शाला-एक परिसर’ मॉडल के तहत स्कूलों का मर्जर किया जाता है. इस मॉडल के तहत एक किलोमीटर के दायरे में जितने स्कूल होते हैं, उनका मर्जर करके एक स्कूल बनाया जाता है. जिससे शिक्षकों की कमी भी पूरी होती है, जबकि एक ही स्कूल में छात्रों को अच्छी शिक्षा मिलती है. हालांकि उन्ही स्कूलों का मर्जर किया जाता है, जिनमें 50 से कम छात्र होते हैं. ऐसे में नीति आयोग ने यह मॉडल देशभर में लागू करने की सिफारिश की है.
बता दें कि अब तक मध्य प्रदेश में 35 हजार स्कूलों को 16 हजार स्कूलों में मिलाया गया है. ऐसा करने से न केवल शिक्षकों की कमी दूर हुई है, जबकि स्कूलों में प्रिंसिपल की कमी भी 55 प्रतिशत तक कम हुई है. इसके अलावा इस प्रयोग से सभी विषयों के शिक्षक भी एक ही स्कूल में उपलब्ध हो गए हैं, जिससे छात्रों को आसानी से हर विषय की शिक्षा मिल रही है. जबकि अधिकारियों पर भी स्कूलों की निगरानी करने का भार कम हुआ है. यह मॉडल सफल साबित होने के बाद अब मध्य प्रदेश ने 53 हजार 651 स्कूलों को एक परिसर वाले स्कूलों का 24 हजार 667 में विलय करने की योजना भी बनाई है.
नीति आयोग का मानना है कि इस मॉडल से देशभर में शिक्षकों की कमी पूरी होगी, जबकि स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता भी सुधरेगी. यही वजह है कि नीति आयोग ने यह सिफारिश अब देशभर में लागू करने की बात कही है. नीति आयोग की तरफ से बताया गया कि देशभर में फिलहाल 10 लाख शिक्षकों की कमी है, ऐसे में यह योजना लागू होने से शिक्षकों की कमी की समस्या बहुत हद तक सुलझाई जा सकती है. नीति आयोग की सिफारिश है कि अगर यह मॉडल लागू होता है तो इससे स्कूलों में आसानी से छात्रों को सभी सुविधाएं मिलेगी. जिससे छात्रों का दक्षता उन्नयन भी बढ़ाया जा सकता है. बता दें कि फिलहाल यह मॉडल मध्य प्रदेश के साथ-साथ ओडिशा और झारखंड में काम कर रहा है.
यह फायदे होंगे: एक ही स्कूल में सभी विषयों के शिक्षक उपलब्ध होंगे. शिक्षकों की कमी पूरी होगी. छोटे-छोटे स्कूलों को मिलाकर एक बड़ा स्कूल बन जाएगा. परिवहन सुविधा से छात्रों ककी पहुंच भी आसान हो जाएगी. शिक्षकों और बड़े अधिकारियों की जवाबदेही तय होगी.
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