नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक से बैंकों को काफी बड़ी राहत मिली है. रेगुलेटर ने Liquidity Coverage Ratio फ्रेमवर्क पर फाइनल गाइडलाइंस जारी कर दी है. वहीं, RBI ने इस गिरावट को थामने के लिए 35.4 अरब डॉलर रुपए खर्च किए हैं. इस गाइडलाइन के तहत रन-ऑफ रेट के नियम ड्राफ्ट प्रस्तावों के मुकाबले कम सख्त किए गए हैं. अब प्राइवेट बैंक के बाद पीएसयू बैंक भी चल सकते हैं. LCR की नई गाइडलाइंस से सेंटिमेंट भी सुधरेंगे.
इसके साथ ही इंटरनेट और मोबाइल से डिपॉजिट पर नियम पर सख्त हुए हैं. अब 5 प्रतिशत के मुकाबले 2.5 प्रतिशत रन-ऑफ रेट लागू होगा. बता दें, 1 अप्रैल 2026 से LCR फ्रेमवर्क लागू होगा. ऐसा माना जा रहा है कि इससे बैंकों की लिक्विडिटी बढ़ेगी. चलिए जानते हैं बैंकिंग सेक्टर पर ब्रोकरेज की रिपोर्ट क्या कहती है.
एचएसबीसी ने बैंकिंग सेक्टर पर अपनी राय देते हुए कहा कि LCR फ्रेमवर्क नियम सभी बैंकों के लिए सकारात्मक साबित होंगे. इससे बैंकों के बैलेंस शीट से 2.2 लाख करोड़ रुपए की लिक्विडिटी भी रिलीज होगी. इसके साथ ही मॉर्गन स्टेनली ने बैंकों पर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि RBI के फ्रेमवर्क से सिस्टम LCR में 6ppts की बढ़ोतरी संभव है. इससे बैंकों को बढ़ोतरी और मार्जिन बढ़ाने में मदद मिलेगी.
जेफरीज ने इसपर राय देते हुए कहा कि RBI ने LCR फ्रेमवर्क पर फाइनल गाइडलाइन जारी की है. रन-ऑफ-रेट के नियम ड्राफ्ट प्रस्तावों के मुकाबले कम सख्त हुए हैं. इसके कारण पुराने सरकारी बैंक और बड़े प्राइवेट बैंकों को काफी फायदा मिलेगा. 1 अप्रैल 2026 से सिस्टम में लिक्विडिटी 6ppt भी बढ़ सकती है. इसपर नुआमा ने भी अपनी राय देते हुए कहा कि RBI ने LCR फ्रेमवर्क पर एक फाइनल गाइडलाइंस जारी की है. रन – ऑफ रेट के नियम ड्राफ्ट प्रस्तावों के मुकाबले कम सख्त हुए हैं और LCR फ्रेमवर्क 1 अप्रैल 2026 से लागू भी हो जाएगा.
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