नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) में 400 सीट का लक्ष्य हासिल करने में लगी भारतीय जनता पार्टी (BJP) दक्षिण भारत (south india) में अपना विस्तार करना चाहती है. वहीं, पार्टी इस बार ने केरल (Kerala) में भी भी अपना खोलना चाहती है. यह ही वजह है कि पीएम मोदी (PM Modi) ने हाल ही में केरल का दौरा किया और राज्य (State) को कई विकास योजनाओं की सौगात दी. हालांकि, यहां बीजेपी के लिए जीत हासिल करना आसान नहीं होगा. केरल में लेफ्ट और कांग्रेस (Congress) काफी मजबूत मानी जाती हैं.
इंडिया अलायंस में शामिल लेफ्ट और कांग्रेस केरल में अलग-अलग चुनाव लड़ रही हैं. इसके बावजूद यहां बीजेपी का खाता खुलता दिखाई नहीं दे रहा है. दरअसल, सी-वोटर ने सर्वे किया है. इस सर्वे से केरल में डबल डिजिट में सीट जीतने का ख्वाब देख रही बीजेपी को एक भी सीट मिलती दिखाई नहीं दे रही है.
कांग्रेस प्लस को 45 फीसदी वोट
20 लोकसभा सीटों वाले केरल में कांग्रेस प्लस को सभी सीटों पर जीत मिल सकती है. अगर बात करें वोट शेयर की तो यहां बीजेपी को 20 प्रतिशत वोट मिल सकता है, जबकि कांग्रेस प्लस को 45 फीसदी, लेफ्ट को 31 और अन्य को 4 फीसदी वोट मिलने की संभावना है.
अलग-अलग लड़ेंगे कांग्रेस और लेफ्ट
कांग्रेस ने शुक्रवार को जिन 39 लोकसभा प्रत्याशियों की सूची जारी की थी. इसमें केरल की 15 सीटों के उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं. दूसरी ओर सूबे में सत्तारूढ़ वाम मोर्चा ने वायनाड सहित सभी 20 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं. इंडिया ब्लॉक का हिस्सा होने के बावजूद, सीपीआई और अन्य वामपंथी दल केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के साथ सीधे मुकाबला करेंगे.
2019 में कांग्रेस नीत UDF ने मारी थी बाजी
पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की अगुआई वाले UDF ने केरलकी 20 में से 19 सीटों पर जीत दर्ज की है. एलडीएफ के खाते में केवल 1 सीट ही आई थी, जबकि बीजेपी अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी.
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