नई दिल्ली। शिमला मिर्च (Capsicum) तो हर किसी ने देखा होगा, खाया भी होगा लेकिन आप इसके एक नायाब गुण के बारे में नहीं जानते होंगे। मोतियाबिंद (cataracts) और मैक्यूलर डीजनरेशन (macular degeneration) जैसी समस्याओं को रोकने के लिए शिमला मिर्च बड़ी ख़ास होती है। क्यों होती है ख़ास जानना चाहेंगे? वैज्ञानिक और हर्बल मेडिसिन एक्सपर्ट ने बताया कि शिमला मिर्च में ल्यूटीन (Lutein) और ज़िएक्सजेन्थीन (zeaxanthin), ये दो ऐसे नेचरल कंपाउंड्स हैं जो आंखों की सेहत के लिए बड़े ही महत्वपूर्ण हैं। ये दोनों कंपाउंड्स बेहतरीन एंटीऑक्सीडेंट्स हैं और आंखों की सेहत के लिए तो अतिमहत्वपूर्ण हैं लेकिन दुर्भाग्य से ये हमारे शरीर में बनते नहीं हैं। इनकी पूर्ति हम बेहतरीन खानपान से ही कर सकते हैं।
हर्बल मेडिसिन एक्सपर्ट ने बताया- ”मॉस्को (रूस) से 600 किमी दूर मोरूम एक छोटा सा कस्बा है, मैं करीब 25 दिन वहाँ रहा था। एक रात किसी ने खाने पर मुझे बुलाया, खाने से पहले एक तश्तरी में कुछ पपड़ी की तरह का आयटम रखा हुआ था। इसे चाव से खाया जा रहा था और जब मैं इस आयटम को खा रहा था तो मुझे बताया गया कि ये आंखों के लिए अच्छा है। इसके बारे में पूछे जाने पर मुझे पता चला कि ये ‘बोलगर्सके सुखोय’ है। ये इतने कठिन नाम वाली चीज कुछ और नहीं, सूखी हुई शिमला मिर्च थी और तब पहली बार ये भी पता चला कि सूखे को रूसी भाषा में सुखोय कहते हैं।”
कैसे और कितना खाएं शिमला मिर्च
हफ्ते में 2-3 बार शिमला मिर्च भी खाएं, इस आप किसी भी तरीके से खा सकते हैं, जैसे- सब्जी बनाकर, सलाद के तौर पर या सुखाकर। हरी या लाल या फिर पीली कोई भी शिमला मिर्च आप खा सकते हैं जो भी आपको आसानी से मिले। ‘बोलगर्सके सुखोय’ बनाना हो तो लंबे आकार में शिमला मिर्च कट करें, दो दिन धूप में सुखा दें, एक दिन छांव में फैलाकर रखें और कंटेनर में डाल दें। जब खाने का मूड बने तो चाट मसाला डालकर खा सकते हैं।
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