वड़ोदरा। अगर आपमें सेवाभाव (Service Attitude), संघर्ष (Struggle) करने का इरादा और मानवता (Humanity) के प्रति संवेदनाएं हों तो एक दिन आपको मेहनत (Hard Work) का फल जरूर मिलता है। इसी तरह गुजरात (Gujrat) की एक नर्स (Nurse) को भी उनके सेवाभाव और संघर्ष का फल मिला है।
गुजरात के वडोदरा (Vadodara of Gujarat) के सर सयाजीराव जनरल अस्पताल की नर्स भानुमति घीवला (Bhanumati Gheewala) को फ्लोरेंस नाइटिंगेल अवार्ड (Florence Nightingale Award) से सम्मानित किया जाएगा। उन्हें यह अवार्ड कोरोना काल और 2019 में बाढ़ के समय लगातार ड्यूटी के लिए दिया जा रहा है।
मुझे कैजुअल लीव लेना नहीं पसंद
अस्पताल के स्त्री व बाल रोग वार्ड में ड्यूटी करने वाली नर्स भानुमति घीवला कहती हैं कि मुझे कैजुअल लीव लेना पसंद नहीं है। वह कोविड-19 के समय गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी के साथ ही साथ नवजात बच्चों की देखभाल करती रहीं हैं।
इसके अलावा जब 2019 में बाढ़ आई थी और अस्पताल में पानी भर गया था, तब भी भानुमति लगातार अस्पताल आती रहीं और स्त्री रोग विभाग व बाल रोग वार्ड में ड्यूटी करती रहीं। उनके इसी सेवाभाव के लिए उन्हें भारतीय नर्सिंग परिषद, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से फ्लोरेंस नाइटिंगेल अवार्ड से नवाजा जाएगा।
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